दंतेवाड़ा: बचेली के पढ़ापुर ग्राम पंचायत में बेनपाल मड़ई (करसाड़) का आयोजन बड़े ही धूम-धाम से किया गया. कार्यक्रम के दौैरान युवक-युवतियों ने पारंपरिक परिवेश में मांदर की थाप पर नृत्य करते हुए आदिवासी संस्कृति की झलक दिखलाई.
बेनपाल मड़ई मेला का आयोजन मड़ई में 18 गांव के देवी-देवता शामिल
मेले में दूर-दराज इलाकों के ग्रामीण अपने आराध्य देवी-देवताओं के साथ शामिल होते हैं. पुजारी, सिरहा, गुनिया, गायता भी इस प्रसिद्ध मड़ई मेले में पहुंचते हैं. इस बार के मड़ई मेले में लगभग 18 गांव के देवी-देवता शामिल हुए. बुधवार के दिन देवी-देवताओं की विदाई हुई और गुरुवार के दिन श्रृंगार उतारनी रस्म के साथ इस मेले का समापन हो गया.
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बस्तर अंचल के मड़ई मेले का अलग ही महत्व होता है. ग्रामीण युवक-युवतियां पारंपरिक परिवेश में नाचते हुए मांदर की थाप के साथ कदम ताल करते हैं. यह पारंपरिक नाच काफी मनोरंजक होता है. पुराने समय से ही मेला-मड़ई ग्रामीणों के अपने रिश्तेदारों से मिलने और अपने जरूरी सामानों को खरीदने का साधन हुआ करता है. ग्रामीण इलाकों में मड़ई के एक दिन पहले दिवाली का त्योहार मनाया जाता है.
आदिवासी संस्कृति को समझा जा सकता है
दूर-दराज काम करने गए लोग अपने घर लौटते हैं. पूरे हफ्ते त्योहार का माहौल रहता है. इस दौरान आदिवासी संस्कृति को जानने समझने के लिये क्षेत्र के लोग भी शामिल होते हैं. मड़ई मेले को सफल बनाने के लिए बेनपाल गांव के सभी लोग मिलकर काम करते हैं. गांव के लोगों की देख-रेख में मेले का आयोजन किया जाता है.
मां दंतेश्वरी के दरबार में निकलेगी पहली पालकी
जिले के आसपास के सभी गांव के मेले संपन्न हो गए हैं. शनिवार से दंतेवाड़ा में होने वाले विश्व प्रसिद्ध मेला के आयोजन की तैयारी शासन-प्रशासन ने पूरी कर ली है. शनिवार से दंतेवाड़ा फागुन मड़ई की कलश स्थापना के साथ पहली पालकी मां दंतेश्वरी के दरबार में निकाली जाएगी.