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NEET की काउंसिलिंग में शामिल नहीं हो पाए बच्चे तो नाराज हुआ आदिवासी समाज, दी चेतावनी

दंतेवाड़ा के नक्सल प्रभावित इलाके में आदिवासी समाज के लोगों ने शिक्षा विभाग के अफसरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि अफसरों की लापरवाही से उनकी बच्चियां नीट क्वॉलीफाई करने के बाद भी काउंसिलिंग में नहीं शामिल हो पाईं.

Adiwasi community expressed resentment due to students unable to sit in neet exams
दंतेवाड़ा में आदिवासी समाज की बैठक

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Published : Dec 1, 2020, 1:28 PM IST

Updated : Dec 2, 2020, 11:52 AM IST

दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों के बच्चों ने कई बार प्रतियोगी परीक्षाओं में अपना लोहा मनवाया है. सर्व आदिवासी समाज नक्सल प्रभावित क्षेत्र की आदिवासी बच्चियों के NEET एग्जाम में क्वॉलीफाई होने के बाद काउंसिलिंग में शामिल न हो पाने की वजह से नाराज है. समाज के लोगों का कहना है कि शिक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाही और झूठ की वजह से उनकी बेटियों के हाथ से ये मौका निकल गया. नाराज सर्व आदिवासी समाज ने इस मामले में एक बैठक बुलाई है.

दंतेवाड़ा में आदिवासी समाज की बैठक

आदिवासी समाज का आरोप है कि शिक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाही से उनकी बच्चियों का भविष्य खराब हुआ है. आदिवासी समाज के लोगों का आरोप है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने उनसे झूठ बोला है. अधिकारी बच्चों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन फॉर्म नहीं भर पाए और परिजन को बताया गया कि फॉर्म फिल हो गया है.

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दोषियों पर कार्रवाई की मांग

अधिकारियों का आश्वासन पाकर बच्चियां पढ़ाई में लग गईं, लेकिन हद तब हुई, जब वे काउंसिलिंग सेंटर की जानकारी के लिए शिक्षा विभाग के दफ्तर पहुंचीं. विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि उनका फॉर्म नहीं भर पाया है. बच्चियां तो मायूस होकर लौट आईं, लेकिन परिवार और समाज वालों ने दोषी लोगों पर कार्रवाई की मांग की है. परिजन का कहना है कि उनके बच्चों को इंसाफ मिलना चाहिए.

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सड़क पर उतरने की चेतावनी

आदिवासी समाज द्वारा पहले ही इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और स्थानीय विधायक को ज्ञापन दे चुका है, लेकिन अब तक इस मामले में प्रशासन की तरफ से पहल नहीं की गई है. यही वजह है कि आदिवासी समाज नाराज है और इंसाफ नहीं मिलने पर सड़क पर उतरने की चेतावनी भी दे रहा है.

इस मामले को लेकर आदिवासी नेता नंदलाल मुडामी ने कहा कि शासन-प्रशासन को इन आदिवासी बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए. शासन-प्रशासन के पास कई मद हैं, जिसके तहत उन्हें बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाना चाहिए.

Last Updated : Dec 2, 2020, 11:52 AM IST

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