दंतेवाड़ा: फागुन मड़ई में पहली बार 500 साल पुरानी परंपरा को तोड़ा गया. आज दूरदराज से आए सभी देवी-देवता वापस अपने-अपने धाम लौट जाएंगे. कोरोना गाइडलाइन के चलते प्रशासन और मंदिर समिति ने यह फैसला लिया है. पांचवीं पालकी के बाद यह निर्णय अंचल से आए देवी-देवता के प्रतीक चिन्हों के साथ पहुंचे पुजारी-सेवादारों को सुनाया जाएगा. आज चिन्हित देवी-देवताओं को छोड़कर सभी को विदाई दी जाएगी, जबकि मंदिर में पूजा-अनुष्ठान और पर्व की अन्य परंपराओं का निर्वहन पहले की तरह ही चलता रहेगा.
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इस साल नहीं होगा फागुन मड़ई मेले का आयोजन
कोरोना संक्रमण के चलते इस साल फागुन मड़ई में मेले का आयोजन नहीं हो रहा है. झूला और मीना बाजार सहित बाहर से आने वाले दुकानदारों को भी मना कर दिया गया है. ग्रामीण क्षेत्रों से देव लाट, बैरक और छत्र लेकर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी सीमित कर दी गई है.
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आस्था पर महामारी भारी
यहां तक की मंदिर परिसर में प्रवेश से पूर्व कोरोना जांच कराई जा रही है. प्रशासन और मंदिर समिति ने निर्णय लिया है कि पर्व के दौरान मंदिर और इलाके में भीड़भाड़ न हो. इसके लिए कुछ देवी-देवताओं के साथ पहुंचे लोग ही पर्व समाप्ति तक मंदिर परिसर में रहेंगे, बाकियों को होली के पहले ही आज विदा कर दिया जाएगा. इसकी सूचना प्रधान पुजारी हरेन्दनाथ जिया ने लोगों को दी.
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लगाई जा सकती है धारा 144
माना जा रहा है कि आज देवी-देवताओं की विदाई के बाद दंतेवाड़ा में धारा 144 लगाई जा सकती है. प्रधान पुजारी हरेन्दनाथ जिया ने बताया कि कोरोना के प्रकोप को देखते हुए हमने बड़े दुख के साथ लोगों को सूचित किया है कि इस बार फागुन मेले के छठवें दिन दूरदराज से आए देवी-देवताओं की विदाई की जाएगी.
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