दंतेवाड़ा: जिले में चलाए जा रहे लोन वर्राटू अभियान से प्रभावित होकर और नक्सलियों की खोखली विचारधारा से तंग आकर रविवार को पुलिस के सामने 32 नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया है. इनमें 4 नक्सलियों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम घोषित था.
दंतेवाड़ा एसपी डॉ.अभिषेक पल्लव ने बताया कि अभियान के तहत गांव-गांव में नक्सलियों के बैनर-पोस्टर लगाकर सरेंडर करने की अपील की जा रही है. जिसके तहत 1-1 लाख रुपये के 4 इनामी नक्सली समेत 32 नक्सलियों ने एसपी अभिषेक पल्लव, CRPF कमांडेंट वीरप्रताप सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र जायसवाल और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उदय किरण के समक्ष सरेंडर किया.
पढ़ें-SPECIAL: बस्तर पुलिस का 'लोन वर्राटू' अभियान, घर वापसी की ओर बढ़ रहे नक्सली
दंतेवाड़ा एसपी ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सली अतिसंवेदनशील क्षेत्रों से संबंध रखते हैं. इसलिए उनकी पहचान उजागर नहीं की जा रही है. उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों के खिलाफ कई केस दर्ज हैं. पुलिस अधिकारियों के द्वारा सभी समर्पित नक्सलियों को 10 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई है.
'लोन वर्राटू' अभियान से मिल रही सफलता
एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि 4 महीने पहले शुरू किए गए लोन वर्राटू अभियान से पुलिस को लगातार सफलता मिल रही है. पिछले 4 महीने में 40 इनामी सहित 150 नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का फैसला लिया है.
क्या है 'लोन वर्राटू' अभियान ?
बस्तर में स्थानीय कैडर के नक्सलियों को सही रास्ते पर लाने के लिए पुलिस लगातार कोशिश कर रही है. इसके तहत दंतेवाड़ा में नक्सलियों के लिए एक अनोखी पहल की शुरुआत की गई है. जिसका नाम लोन वर्राटू दिया गया है, जिसका अर्थ है घर वापस लौट आइए. इसके लिए पुलिस के जवानों द्वारा गांव-गांव में प्रचार करवाया जा रहा है. गांव-गांव में पुलिस अधिकारियों के फोन नंबर भी दिए जा रहे हैं, ताकि समर्पण की इच्छा रखने वाले नक्सली सीधे उनसे संपर्क कर सकें. इस अभियान के तहत अब धीरे-धीरे पूरे दंतेवाड़ा जिले से स्थानीय कैडर के नक्सली इस अभियान के तहत पुलिस से संपर्क कर सरकार की मुख्य धारा में लौट रहे हैं.
पढ़ें-लोन वर्राटू अभियान: 3 लाख के इनामी नक्सली ने किया सरेंडर
नक्सलियों को मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश
गौरतलब है कि पुलिस इससे पहले भी सन 2005 में नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने के लिए अभियान चला चुकी है. राज्य सरकार द्वारा बनाये गए पुनर्वास नीति में समय- समय पर परिवर्तन कर नक्सलियों की इनाम की राशि भी बढ़ाई जाती रही है. इसी दिशा में अब लोन वर्राटू (घर वापसी अभियान) की भी शुरुआत की गई है. जिसमें अब सरेंडर करने वाले नक्सलियों को केवल पुलिस में ही नौकरी नहीं मिलेगी, बल्कि उनकी रुचि और कौशल के आधार पर नौकरी और रोजगार के साथ सभी साधन मुहैया कराने की नीति बनाई गई है.