रायपुर : सिंध में पहले हिन्दू राजा का शासन था. राजा धरार आखिरी हिन्दू राजा थे. उन्हें मोहम्मद बिन कासिम ने हराया. इसके बाद मुस्लिम राजा सिंध की गद्दी पर बैठा. दसवी सदी के दूसरे भाग में सिंध के ‘थट्टा’में मकराब खान राज था, जिसे शाह सदाकत खान ने मारा और अपने आप को मिरक शाह नाम देकर गद्दी पर बैठा. मिरक शाह ने हिंदुओं पर जुल्म करना शुरू कर दिया. सभी हिंदुओ को बोला गया, कि उन्हें इस्लाम अपनाना होगा, नहीं तो मारे जाएंगे. सभी लोगों ने सिंध नदी के तट पर इकट्ठा होकर प्रार्थना कि जिससे एक आकाशवाणी हुई. भगवान वरुण ने बताया कि वे नासरपुर में देवकी और ताराचंद के यहां जन्म लेंगे. वहीं बालक इनका रक्षक बनेगा.
मिरक शाह का किया अंत : आकाशवाणी के 2 दिन बाद चैत्र माह की शुक्ल पक्ष में नासरपुर (पाकिस्तान की सिन्धु घाटी) के देवकी और ताराचंद के यहां बेटा जन्मा. भविष्य में ये छोटा बच्चा हिन्दू सिन्धी समाज का रक्षक बना, जिसने मिरक शाह जैसे शैतान का अंत किया. अपने नाम को चरितार्थ करते हुए उदयचंद ने सिंध के हिंदुओं के जीवन से अंधकार मिटाया. जन्म के बाद जब उनके माता पिता ने उनके मुख के अंदर पूरी सिन्धु नदी को देखा, जिसमें एक विशाल मछली तैर रही थी. इसलिए झुलेलाल को पेल वारो भी कहा जाता है.
कैसे हैं भगवान झूलेलाल :भगवान झूलेलाल को सफेद मूंछ और दाढ़ी के साथ दर्शाया गया है. वह शाही पोशाक और मोरपंख से सजे मुकुट पहने नजर आ रहे हैं. सिंधु नदी पर तैरती एक मछली की पीठ पर कमल पर बैठे झूलेलाल के हाथों में पवित्र ग्रंथ और एक जपमाला है. झूलेलाल जयंती समारोह के शुरुआत में आप भी हैप्पी चेटी चंद 2022 की शुभकामनाएं, कोट्स और संदेश मित्रों और परिवार को भेजें.