दुर्ग: छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा निशुल्क वितरण के लिए खरीदी गई दवा में भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. आरोप है कि आयुर्वेदिक दवा कंपनी और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन, दुर्ग वेयर हॉउस के अधिकारियों ने मिलीभगत कर दवा खरीदी में बड़ा हेराफेरी किया है.
भ्रष्टाचार की शिकायत पर प्रदेश कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और मुख्य सचिव को मामले से संबंधित दस्तावेज सौंपकर संबंधित अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है. इधर, इन आरोपों को दुर्ग वेयर हाउस के प्रभारी महिमा दुबे ने निराधार बताते हुए कहा है कि दवा खरीदी में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है.
दुर्ग जिले के आयुर्वेदिक अस्पताल में दवा सप्लाई करने के लिए दुर्ग स्थित ड्रग वेयर हाउस में 1 मार्च 2018 को 5 दवाइयों की सप्लाई 2 दवा कंपनियों के द्वारा की गई थी. दवा के वेयर हाउस में पहुचने के कुछ दिन बाद उनमें से कुछ दवाओं में खामियों की शिकायत प्रभारी महिमा दुबे ने अपने उच्च अधिकारियों से की थी.
शिकायत के बाद छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड रायपुर ने उक्त कंपनियों को नोटिस जारी कर जिन दवाओ में खामिया पाई गई थी, उसका पेमेंट रोकने और सही दवा की सप्लाई करने के निर्देश दिए थे, लेकिन दवा कंपनी के प्रतिनिधि ने दुर्ग वेयर हॉउस में रखे दवा का प्रभारी के साथ मिलकर जांच किया. जिसपर कुछ दवा डैमेज होने की वजह से खराब होना पाया गया. बावजूद इसके दवा नहीं बदली गई और न ही कंपनी को भुगतान रोका गया.
मामले में दुर्ग ड्रग वेयर हाउस की सहायक प्रबंधक महिमा दुबे और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के तत्कालीन प्रबंध संचालक वी. रामाराव पर मिली भगत का आरोप लगाया गया है. शिकायतकर्ता ने साफ-साफ आरोप लगाया है कि इन दवाओं को पहले अमानक बताया गया था, बाद में उसे ही क्लीन चिट देकर पास करते हुए 53 लाख रुपये की राशि का भुगतान कर दिया गया.