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कभी हुआ करती थीं रायगढ़ की शान, आज खुद तलाश रही हैं अपनी पहचान

केलो नदी के किनारे बने मरीन ड्राइव में लगी जिन मूर्तियों की वजह से कभी रायगढ़ की पहचान हुआ करती थी आज वो खुद अपने वजूद के लिए लड़ रही हैं.

मूर्तियां

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Published : May 4, 2019, 12:17 AM IST

स्टोरी पैकेज.

रायगढ़: वैसे तो रायगढ़ की पहचान इंडस्ट्रियल हब के तौर पर होती है, लेकिन एक चीज और भी है जो प्रदेशभर में इस शहर को एक नई पहचान दिलाती है और ये है रायगढ़ में लगाई गईं खूबसूरत मूर्तियां.

15 करोड़ रुपये किए गए थे खर्च
केलो नदी के किनारे बने मरीन ड्राइव में लगी जिन मूर्तियों की वजह से कभी रायगढ़ की पहचान हुआ करती थी आज वो खुद अपने वजूद के लिए लड़ रही हैं. रखरखाव के अभाव में करोड़ों की मूर्तियां खंडहर होती जा रही हैं. मूर्तियों के साथ-साथ यहां फाउंटेन और लाइटिंग भी लगाई गई थी, जिसमें 15 करोड़ रुपयों का खर्च आया था.

क्षीर्ण हो रही मूर्तियां
कुछ साल पहले 15 करोड़ रुपये खर्च कर शहर को खूबसूरत बनाने के लिए चौक-चौराहों पर मूर्तियां लगाई गईं, जो आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं. नगर निगम इसके रंग-रोगन एवं सौंदर्यीकरण पर ध्यान नहीं दे रहा है, जिसकी वजह से ये खूबसूरत स्टैच्यू कबाड़ में तब्दील होते जा रहे हैं.

पार्षद ने नगर निगम पर फोड़ा ठीकरा
जहां एक ओर पार्षद ने सारा ठीकरा नगर निगम के मत्थे मढ़ दिया वहीं इस मामले को लेकर नगर निगम आयुक्त का क्या कहना है ये भी सुन लीजिए

ये है सवाल
पार्षद के अपने तर्क हैं और नगर निगम आयुक्त के अपने, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब सिस्टम को इस धरोरह को संभालना ही नहीं था तो जनता की गाढ़ी कमाई को पानी की तरह क्यों बहाया गया.

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