बिलासपुर: 2023 की जंग में बीजेपी को प्रचंड जीत मिली. छत्तीसगढ़ की 90 में से 54 सीटों पर बीजेपी ने कमल खिलाया. जबकि साल 2018 में 68 सीटें जीतने वाली कांग्रेस महज 35 सीटों पर ही अपनी छाप छोड़ सकी. बीजेपी को मिली इस बड़ी जीत में कई नेताओं के नाम शामिल हैं. उसमें एक नाम अरुण साव भी हैं. अरुण साव का नाम छत्तीसगढ़ सीएम की रेस में शामिल हैं. सामान्य कार्यकर्ता से लेकर सांसद तक का सफर करने वाले अरुण साव के बारे में कहा जाता है कि जब उनसे सीएम बनने को लेकर सवाल पूछा जाता है तो वह हंसकर टाल जाते हैं.
छत्तीसगढ़ के चाणक्य: देश की राजनीति में जैसे अमित शाह को बीजेपी का चाणक्य माना जाता है, ठीक उसी तरह से छत्तीसगढ़ की राजनीति का चाणक्य अरुण साव को मानते हैं. 2018 में मिली हार से बीजेपी ने सबक लिया. 2023 की जंग जीतने के लिए बीजेपी ने पांच सालों का लंबा इतंजार और मेहतन की. पर्दे के पीछे रहकर काम करने वाले अरुण साव ने प्रदेश अध्यक्ष बनते ही पार्टी को एकजुट किया, गुटबाजी पर लगाम लगाया. सीट बंटवारे से लेकर प्रदेश स्तर के नेताओं को प्रचार में झोंकने की रणनीति बनाई. स्थानीय नेताओं को रिचार्ज किया, पुराने कार्यकर्ताओं को जमीन पर लेकर आए. अरुण साव के बारे में कहा जाता है कि वो कई कार्यकर्ता को बाकायदा उनके नाम से जानते हैं. बहुत कम ऐसे प्रदेश अध्यक्ष होते हैं जो कार्यकर्ताओं को बाकायदा उनके नाम से जानते हैं. कार्यकर्ता को भी जब उनके प्रदेश अध्यक्ष नाम से पुकारें तो उनका हौसला सांतवें आसमान पर पहुंच जाता है. 2023 की लड़ाई में बीजेपी कार्यकर्ताओं का जोश आपको नजर आया उसके पीछे भी इसी छत्तीसगढ़ के चाणक्य का हाथ माना जाता है.
संघ की पहली पंसद: अरुण साव संघ की भी पहली पसंद हैं. संघ की पृष्ठभूमि से आए अरुण साव साल 1990 से साल 1995 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की छात्र राजनीति से जुड़े रहे. संघ के कई पदों पर रहकर बेहतर काम किया. भारतीय जनता पार्टी में आने पर बूथ कार्यकर्ता से लेकर पार्टी के कार्यक्रमों तक की व्यवस्था करने वाले नेताओं में शुमार रहे. कार्यकर्ता से लेकर सांसद बनने तक का उनका लंबा सफर ये बताने के लिए काफी है कि वो कितने सक्षम हैं. जब वो सांसद बने तो रिकार्ड 1 लाख 41 हजार वोटों से विजयी हुए. सदन के पटल से छत्तीसगढ़ की आवाज भी हमेशा बनते रहे. लोकसभा में जब वो छत्तीसगढ़ के मुद्दों को उठाते थे विपक्ष के सदस्य भी उनको ध्यान से सुनते थे.