बिलासपुर: बिल्हा के पेन्द्रिडीह पंचायत क्षेत्र में डोलोमाइट की नई खदान खोलने की कवायद के तहत जनसुनवाई का कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस सुनवाई में क्षेत्र के करीब 6 गांव के लोग शामिल हुए. पर्यावरण मंडल और प्रशासनिक अधिकारियों समेत पुलिस की उपस्थिति में जनसुनवाई का कार्यक्रम शुरू हुआ. लेकिन जनसुनवाई शुरू होते ही खदान के विरोध के स्वर उभरने लगे.
जनसुनवाई में खदान का विरोध प्रस्तावित करीब 6 एकड़ की जमीन पर डोलोमाइट की खदान खोलने के लिए जैसे ही सुनवाई का शुरू हुई तो ग्रामीण इससे बिफर पड़े. पर्यावरण मंडल के अधिकारी समेत प्रशासनिक अधिकारी भी ग्रामीणों के इस रूप को देखकर सकते में आ गए. ग्रामीणों ने मेसर्स गुप्ता माइंस स्टोन के प्रस्तावित खदान के लिए जनसुनवाई का जमकर विरोध किया.
खदान खुलने पर होगा विरोध
ग्रामीणों का कहना है कि कोरोना काल में जनसुनवाई करना संदेह के दायरे में है. ग्रामीणों ने अपने उद्बोधन में सख्त लहजे में प्रशासन को बताया है कि अगर गांव में जबरिया खदान खोलने का प्रयास किया गया तो ग्रामीण इसका विरोध करेंगे.
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सेहत पर पड़ रहा असर
सुनवाई के दौरान ग्रामीणों ने वातावरण, ग्रामीण परिवेश, जलवायु और भूजल स्तर समेत रोजगार को लेकर सवाल किया. ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र में पहले से ही चल रही डोलोमाइट की कई खदानों की वजह से ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा है. अब दूसरी तरफ खदानों के चलते भूजल स्तर भी गिर गया है. जिसकी वजह से गांव में पेयजल की किल्लत भी बढ़ गई है. ग्रामीणों के आवास में भी विस्फोट और धमाके से मकानों में दरारे पड़ गई है. फिर ऐसे में नई खदान की स्वीकृति देना गैर लाजमी है.
नए खदान खुलने पर संशय
ग्रामीणों ने जनसुनवाई में आए अधिकारियों से कई सवाल किए साथ ही यह भी पूछा कि प्रशासन और खदानों के ठेकेदारों ने अब तक पेन्द्रिडीह क्षेत्र के लिए क्या कुछ किया है. इन सवालों पर मौके पर मौजूद अधिकारी भी बगले झांकने लगे. ग्रामीणों के तेवर को देखकर अब नई खदान खुलने में संशय की स्थिति बन गई है. ग्राम पंचायत के नुमाइंदों ने नई डोलोमाइट खदान खोलने का विरोध किया है.
अधिकारियों के प्रस्ताव को किया अनसुना
अधिकारियों ने ग्रामीणों को बताया कि 6 एकड़ की प्रस्तावित खदान से 150 टन माल का प्रतिदिन उत्खनन किया जाएगा. लीज की अवधि 49 साल होगी. साथ ही खदान के फायदे का 2 प्रतिशत शिक्षा और सामाजिक कार्य में खर्च किया जाएगा. लेकिन अधिकारियों की इन बातों को ग्रामीणों ने अनसुना कर दिया. जनसुनवाई का कार्यक्रम करीब 1 घंटे में निपट गया. या यूं कहें कि अधिकारी ग्रामीणों के तेवर को देखकर मौके से जाना उचित समझा और मौके पर मौजूद मीडियाकर्मियों से नजर बचाते हुए बाहर निकल गए.