बिलासपुर : महिला आयोग की सुनवाई बिलासपुर में हुई. इस सुनवाई में कई मामले में आयोग ने सुनवाई करते हुए नस्तीबद्ध किया है. सुनवाई के दौरान शहीद परिवार की शिकायत के मामले में आयोग ने दोनों को समझाइश के साथ अच्छा फैसला किया. जिससे दोनों पक्ष को लाभ हुआ. इस प्रकरण में बताया गया कि आवेदिका के पति और उनके माता पिता का पुत्र झीरम घाटी में शहीद हुए थे. उस समय उनकी पोस्टिंग जगदलपुर में शहीद नंदकुमार पटेल के फॉलोगार्ड के रूप में थी. वे अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र थे. जिनका विवाह आवेदिका से वर्ष 2011 में हुआ था. शहीद 2008 से शासकीय सेवा में कार्यरत थे. उनकी मां का नाम नॉमिनी में दर्ज कराया गया था. पत्नी का नाम शासकीय अभिलेख में दर्ज नहीं था. सामाजिक, पारिवारिक और विभागीय सदस्यों की समझाईश पर माता पिता ने अनुकंपा नियुक्ति के अवेदिका का नाम अभिलेख में दर्ज कराया, जिसके आधार पर पत्नी की अनुकंपा नियुक्ति असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के रूप में आईजी ऑफिस में हुई. (Chhattisgarh State Women Commission )
शहीद के बाद पत्नी को अनुकंपा नियुक्ति : मृत्यु के बाद 38 लाख रूपए एकमुश्त और 20 हजार पेंशन मिलने लगी. शहीद की पत्नी का कथन है कि उन्होंने पति के माता-पिता को 12 लाख रूपए दिए थे. आवेदिका ने वर्ष 2019 में ही अपने विभाग में बाबू के रूप में पदस्थ व्यक्ति से पुनर्विवाह कर लिया. आवेदिका ने यह भी बताया कि अनावेदकगण उसकी अनुकंपा नियुक्ति समाप्त करने और पेंशन पाने के लिए अलग-अलग शिकायत कर रहे हैं.उनका कहना है कि उनके पास जीवन यापन के लिए और कोई साधन नहीं है. आवेदिका ने पुनर्विवाह कर लिया है. ऐसी स्थिति में पेंशन राशि पाने की पात्रता शहीद घर वालों को मिलनी चाहिए. इसलिए वो विभाग में आवेदन दिए हैं.