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जन गण मन: छत्तीसगढ़ का ऐसा गांव जहां हर घर से एक बेटा कर रहा है देश की रक्षा - जन गण मन

कहानी छत्तीसगढ़ के उस गांव की, जहां के करीब हर घर से एक बेटा फौज या पुलिस में रहकर देश की सेवा कर रहा है.

Special story on village of  soldier in bilaspur of Chhattisgarh
हर घर से एक बेटा फौज में या पुलिस में है

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Published : Jan 24, 2020, 9:33 PM IST

Updated : Jan 24, 2020, 10:26 PM IST

बिलासपुर: देश के महान कवि माखनलाल चतुर्वेदी की चर्चित रचना पुष्प की अभिलाषा को आपने जरूर पढ़ा और सुना होगा. राष्ट्रीय भावना से भरपूर इस कविता के इस अंश को कि "मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ पर तुम देना फेंक. मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जावें वीर अनेक" को पढ़ते हैं तो सहज ही हृदय में राष्ट्रीयता की भावना हिलोरें मारने लगती है.

हर घर से एक बेटा फौज में या पुलिस में है

हम आपको लेकर चलेंगे बिलासपुर संसदीय क्षेत्र के एक ऐसे गांव में जहां हर घर का युवा राष्ट्र की रक्षा के लिए अपनी कुर्बानी देने को तैयार हैं. बिल्कुल ही वैसी कुर्बानी जो दादा माखनलाल चतुर्वेदी जी के शब्दों में एक "पुष्प की अभिलाषा" है. हम जिस गांव की बात कर रहे हैं, उसे हथनीकला आदर्श गांव के नाम से भी जाना जाता है. यह गांव दूसरे गांवों की अपेक्षा विकास के दृष्टिकोण से अलग तो है ही, साथ ही यह गांव को फौजियों के गांव के रूप में भी पहचाना जाता है. महज कुछ हजार की आबादी वाले इस गांव में तकरीबन हर घर का एक युवा आर्मी या फिर पुलिस में जाककर देश की सेवा कर रहा है.

फौजियों का गांव

मुल्क की सुरक्षा में दे रहे योगदान
इस गांव से फौज की दुनिया में गए युवाओं के दिल में राष्ट्रभक्ति की भावना ऐसी उमड़ती है कि, वो गांव के ही दूसरे युवाओं के प्रेरणास्रोत बन जाते हैं. इस गांव के दर्जनों युवा फौज और पुलिस की सेवा में आकर देश सेवा में अपना योगदान दे रहे हैं. गांव के जिन अभिभावकों ने बड़ा ही संघर्षपूर्ण जीवन जीकर जिस तरह से अपने लाडलों को राष्ट्रसेवा के लिए तैयार किया है. वो बड़े ही गर्व से कहते हैं कि देशहित में उनका बेटा कुर्बान भी हो जाये तो यह उनके लिए गर्व की बात होगी.

बेटों पर परिवारवालों को है गर्व

हर घर फौजी

महीनों अपने बेटे से दूर रहनेवाली और सदैव एक अनचाहे खतरे को महसूस करती जवानों की मां भी अपने लाडलों पर फक्र महसूस करती हैं. आज के दौर में मुल्क में राष्ट्रवाद और राष्ट्रभक्ति पर चर्चा और सियासत भी अपने शवाब पर है. चर्चा तो चर्चा है, इन चर्चाओं में शायद ही कुर्बानी की सच्ची तस्वीरें दिखे, लेकिन हथनीकला के ये वीर युवा बताते हैं कि सही मायने में राष्ट्रभक्ति क्या होती है. शायद ये युवा असल अर्थ में दादा के " पुष्प की अभिलाषा " के मर्म को छू पा रहे हैं.

Last Updated : Jan 24, 2020, 10:26 PM IST

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