गौरेला-पेंड्रा-मरवाही:कोरोना काल में सरकार ने जरूरतमंदों को रोजगार उपलब्ध कराने के तमाम दावे किए, लेकिन असल में हकीकत कुछ और है. मरवाही के अखराढांड में आदिवासी धनुहार परिवारों को इस कोरोना काल में रोजगार नहीं होने से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. न चाहते हुए भी ग्रामीण तंग परिस्थितियों में जीवनयापन करने को मजबूर हैं. धनुहार आदिवासी परिवारों के सामने लॉकडाउन के दौरान रोजगार न होने से खाने-पीने की समस्या खड़ी हो गई है.
मरवाही विकासखंड के मटिया ढांड गांव के अखराढांड में 15 से 20 धनुहार परिवार रहते हैं. इन आदिवासियों का जीवनयापन बांस के सामानों से होता है. आदिवासी बांस के सामान बनाकर इसे साप्ताहिक बाजारों में बेचते हैं और उससे मिले पैसे से वे अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से साप्ताहिक बाजार नहीं लगने के कारण इनका ये सामान भी नहीं बिक पा रहा है. जिससे धनुहार आदिवासियों के परिवार के सामने आर्थिक समस्याएं खड़ी हो गई हैं.
शुरू हो गया भोले की भक्ति का महीना सावन, सोशल डिस्टेसिंग के साथ मिलेंगे दर्शन