गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: मरवाही उपचुनाव के अपने मायने हैं. सीट का अपना एक राजनीतिक महत्व भी है. जो इसे छत्तीसगढ़ की बेहद खास सीट बनाती है. इसलिए छत्तीसगढ़ की सत्ताधारी कांग्रेस, विपक्ष में बैठी बीजेपी और छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के नेता सीट को जीतने के लिए पुरजोर मेहनत में लग गए हैं. 3 नवंबर को मरवाही सीट पर उपचुनाव होना है.
कांग्रेस ने इस सीट पर डॉक्टर केके ध्रूव, बीजेपी ने इस सीट पर डॉक्टर गंभीर सिंह और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की ओर से अमित जोगी मैदान में हैं. पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद से सीट खाली थी. मरवाही की सीट जोगी परिवार की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है. अमित जोगी पहले भी इस सीट से चुनाव लड़कर जीत दर्ज कर चुके हैं. कांग्रेस भी सीट पर जीत का दावा कर रही है. वहीं बीजेपी को भी सीट पर जीत का भरोसा है. ETV भारत ने मरवाही उपचुनाव को लेकर सभी दलों की तैयारियों का जायजा लिया है. नेताओं के साथ ही चुनाव समीक्षक से भी बातचीत की है.
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क्या कहते हैं समीक्षक
चुनावी समीक्षक अनिल तिवारी का कहना है कि मरवाही क्षेत्र में निश्चित तौर पर अजीत जोगी का सहानुभूति फैक्टर काम करेगा. लेकिन अगर किसी कारण से अमित जोगी चुनाव लड़ने से वंचित हुए तो कांग्रेस का पलड़ा भारी हो जाएगा. उनका कहना है कि बीजेपी जीत के दौड़ में नहीं है. बीजेपी की पूरी ताकत अब कांग्रेस के रथ को रोकने में लगी हुई है.
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जोगी परिवार की सीट बनी मरवाही विधानसभा
पिछले कई चुनाव के दौरान मरवाही की सीट कांग्रेस के कब्जे में रही है. लेकिन जब अजीत जोगी यहां से चुनाव लड़कर जीते तो सीट जोगी परिवार के कब्जे में आ गई. मरवाही में अजीत जोगी के जीतने के बाद सीट पर दो तरह का बदलाव आए. एक यह कि पार्टी से ज्यादा क्षेत्र में जोगी का चेहरा पसंद किया जाने लगा. दूसरा जोगी ने क्षेत्रीय दल जेसीसी(जे) को भी मरवाही में स्थापित कर दिया. आज भी मरवाही क्षेत्र में जोगी की छवि अन्य पार्टियों पर भारी पड़ती दिखती है. यही वजह है कि जोगी परिवार इस बार पूरा दांव सहानुभूति फैक्टर को ध्यान में रखकर खेल रहा है.
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मरवाही विधानसभा का इतिहास
मरवाही प्रदेश का अकेला ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जहां दूसरी बार उपचुनाव होने जा रहा है. तब और आज के दोनों चुनावों के केंद्र में अजीत जोगी हैं. पहले के उपचुनाव में अजीत जोगी की छवि थी और इसबार के उपचुनाव में अजीत जोगी के प्रति सहानुभूति बहुत मायने रखता है. 2001 के उपचुनाव में अजीत जोगी ने बीजेपी के अमर सिंह खुसरो को भारी मतों से शिकस्त दी थी. 2003 में बीजेपी के ही नंद कुमार साय को और 2008 में भाजपा के ध्यान सिंह पोर्ते को सियासी पटखनी देकर मरवाही सीट पर कब्जा जमाए रखा. 2013 में अमित जोगी ने भाजपा की समीरा पैकरा को हराकर बड़ी जीत हासिल की थी. पहली बार वो बतौर विधायक चुने गए.
2018 के चुनावी हालात को अजीत जोगी ने भांप लिया और फिर अमित जोगी को मरवाही सीट से चुनाव लड़ने से दूर रखा. अजीत जोगी अपनी नई पार्टी के साथ मैदान में उतरे और भारी मतों से एक बार फिर परचम लहराया. अमित जोगी दुबारा मैदान में यह कहते हुए नहीं आये कि उन्हें उनकी पार्टी के संगठन को भी संभालना है. कुछ लोग इसे अमित के खिलाफ उभरे माहौल को देखते हुए जोगी परिवार का सफल रणनीति भी मानते हैं.
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कांग्रेस ने लगाया जोर
छत्तीसगढ़ की सत्ता फिलहाल कांग्रेस के पास है. गेम प्लान पूरी तरह से विकास कार्यों को दिखाकर अपना परचम लहराने का है. कांग्रेस यह कहने से पीछे नहीं हट रही है कि इस बीच कई सरकारें आई गई, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने गौरेला-पेंड्रा-मरवाही को जिला बनाने के बहुप्रतीक्षित मांग को पूरा किया. इस बीच सत्ताधारी कांग्रेस के तमाम आला नेता-मंत्री मरवाही दौरे पर खूब रहे. मरवाही को लोगों के बीच भरपूर सौगातें लुटाई गई हैं.
बिलासपुर विधायक और मरवाही क्षेत्र में फिलहाल चुनावी कमान संभाले शैलेष पांडेय ने जोगी परिवार पर परोक्ष हमला करते हुए कहा कि वो सिर्फ लोगों की भावनाओं के साथ खेल रहे हैं. अब तक खेलते आये हैं. जनता की भावना विकास से जुड़ी हुई है जिसे कांग्रेस पार्टी पूरा कर रही है.
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बीजेपी की तैयारी
भाजपा का कहना है कि कांग्रेस पार्टी ने मरवाही में पूरी ताक़त झोंककर यह साबित कर दिया है कि वास्तव में वो घबराई हुई है. सत्ता के बल पर चुनाव जीतने में लगी है. भाजपा का अपना दावा है कि वो मरवाही सीट के लिए दमदारी से जुटी हुई है. प्रदेश स्तर के कई नेता लगातार क्षेत्र दौरा कर रहे हैं. लगातार जनसंपर्क चल रहा है. नामांकन के दौरान भी बीजेपी के कई नेता मरवाही पहुंचे थे.
बहरहाल तमाम पार्टियों के दावे और चुनावी जानकार के मतों को समझें तो मरवाही उपचुनाव को लेकर इतना स्पष्ट है कि मरवाही की जंग एक प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुकी है. जिसमें सत्ताधारी पार्टी के पास विकास कार्यों का अपना दावा है. वहीं सिटिंग पार्टी जेसीसी(जे) के पास अजीत जोगी के निधन का सिम्पैथी कार्ड है. तो वहीं बीजेपी भी रणनीति के साथ उपचुनाव में कांग्रेस और JCC(J) के रथ को रोकने में लगी हुई है.