बिलासपुर:कोरोना काल में आम लोगों की जिंदगी काफी प्रभावित हुई है. साथ ही आम लोगों के हितों से जुडे़ महत्वपूर्ण योजनाओं का बंटाधार भी हुआ है. बिलासपुर के दो महत्वपूर्ण योजनाओं सीवरेज और अमृत मिशन प्रोजेक्ट सालों से निर्माणाधीन है. बेहद धीमी गति से चल रहे प्रोजेक्ट जस के तस पड़े हुए हैं. जिसका सीधा खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है.
बिलासपुर नगर निगम के दो बड़े प्रोजेक्ट सीवरेज और अमृत मिशन सियासी दलों के लिए शुरुआत से ही सियासत का मुद्दा रहा है. पूर्व की रमन सरकार के दौरान जब निगम में भी BJP का कब्जा था, तब अंडर ग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम के लिए सीवरेज प्रोजेक्ट शुरू की गई थी. इसकी बदहाली और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विपक्ष में बैठी कांग्रेस सरकार ने जमकर हंगामा किया था. सीवरेज प्रोजेक्ट को लेकर बिलासपुर के पूर्व विधायक और रमन सरकार कैबिनेट के मंत्री रहे अमर अग्रवाल की खूब किरकिरी भी हुई थी.
पानी निकासी एक गंभीर समस्या
हालिया सूरत में राज्य और बिलासपुर नगर निगम में सरकार बदल गई है, लेकिन अब भी बिलासपुर की जनता को सीवरेज प्रोजेक्ट अब तक पूर्ण रूप से नहीं मिल सका है. इस प्रोजेक्ट को लेकर बीते सत्र में स्थानीय विधायक शैलेष पांडेय ने मुद्दा भी उछाला था, लेकिन हजारों करोड़ के इस निर्माणाधीन प्रोजेक्ट में अब तक कोई नया रोडमैप बनकर तैयार नहीं हो सका है. जिस कारण से शहर में पानी निकासी एक गंभीर समस्या बनी हुई है.
प्रोजेक्ट से जुड़ी जरूरी जानकारी
- 2008 में सीवरेज प्रोजेक्ट को लाया गया था. तब उसकी लागत 310 करोड़ थी. बाद में काम में देरी के कारण 422.94 करोड़ के प्रोजेक्ट के रूप में इसे रिवाइज किया गया. अब तक शहर में महज 2000 से कुछ अधिक घरों में कनेक्शन के काम पूरे हुए हैं. शहर में अभी भी कई क्षेत्रों में पाइप लाइन बिछाने और पंपिंग स्टेशन जैसे महत्वपूर्ण कार्य होने बाकी है.
- पिछले विधानसभा के मानसून सत्र में स्थानीय विधायक ने सदन में कहा था कि यह प्रोजेक्ट 295 करोड़ की कुल लागत के बाद इसके लागत में कुल 6 बार वृद्धि की गई है. यह 423 करोड़ के लगभग हो चुकी है. इस प्रोजेक्ट में ठेकेदारों ने मनमाने ढंग से काम किए हैं. जमकर आर्थिक अनियमितता भी बरती गई है. अब इस कार्य योजना को पूरा करने की अवधि अगले साल दिसंबर तक रखी गई है.
- इसी तरह बिलासपुर में अमृत मिशन योजना को खूंटाघाट जलाशय से शहर में पानी पहुंचाने की योजना के रूप में रखा गया है. इस योजना के तहत 301 करोड़ खर्च किये जायेंगे, लेकिन निर्माणाधीन इस योजना की शिकायतें भी भरपूर हैं. शहर में जगह जगह खुदाई और गुणवत्ताहीन कार्यों की जमकर आलोचना हो रही है. इस योजना को पेयजल संकट खत्म करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
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अमृत मिशन योजना का हाल बेहाल
पिछली सरकार के दौरान ही शुरू कि गई अमृत मिशन योजना का हाल भी बेहाल है. घर-घर पेयजल पहुंचाने का वादा अब तक पूरा नहीं हुआ है. लेकिन शहर के अधिकांश हिस्सों में योजना के नाम पर खुदाई जरूर कर दी गई है. दो बड़ी योजनाओं का हाल यह है कि 10 साल से भी ज्यादा वक्त हो गया है, लेकिन निर्माणा कार्य पूरा नहीं किया जा सका है. अमृत मिशन योजना के माध्यम से लोगों को अब तक पेयजल की आपूर्ति संभव नहीं हो सकी है.