बिलासपुर: जोगी जाति मामले में याचिकाकर्ता संतकुमार नेताम ने एकबार फिर जोगी परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. नेताम ने पूर्व विधायक अमित जोगी की पत्नी ऋचा जोगी के अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र के वैधता को जिला स्तरीय जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति के समक्ष चुनौती दी है. जिससे एकबार फिर से सियासी उबाल देखने को मिल रहा है. जोगी का जाति प्रकरण दोबारा सुर्खियों में आ चुका है. ETV भारत ने जोगी के जाति प्रकरण को याचिकाकर्ता संतकुमार नेताम की जुबानी सिलसिलेवार ढंग से समझने की कोशिश की है.
संतकुमार नेताम ने बताया कि आदिवासी समाज को पहले से ही जोगी के जाति प्रमाण पत्र पर संदेह था. जब अजीत जोगी मरवाही सीट से चुनाव जीते, तो उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद हमने सबसे पहले 21 जनवरी 2001 को मुख्य चुनाव आयुक्त और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के सामने जोगी की जाति प्रमाणपत्र की वैधता के खिलाफ शिकायत पत्र दिया.
अजीत जोगी पर चला 420 का मुकदमा
जाति मामले को लेकर लंबी सुनवाई चली और अजीत जोगी से आयोग ने कई बार जवाब-तलब किया. फिर 16 अक्टूबर 2001 को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग ने जोगी के खिलाफ फैसला सुनाया. साथ ही प्रमाणपत्र को फर्जी करार देते हुए जोगी के खिलाफ 420 का मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की भी बात कही. आयोग के फैसले के खिलाफ अजीत जोगी 22 अक्टूबर 2001 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट पहुंचे. उन्होंने आयोग के फैसले के खिलाफ अपील की.
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आयोग के फैसले को चुनौती
एक बार फिर मामले में लंबी सुनवाई चली और 15 दिसंबर 2006 को जोगी के हक में फैसला आया. हाईकोर्ट के फैसले में कहा गया कि आयोग को जाति निर्धारण का अधिकार नहीं है. इस तरह शिकायतकर्ता के खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई भी की गई. फिर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ शिकायतकर्ता संतकुमार नेताम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट से उन्हें बड़ी राहत मिली और जुर्माने के फैसले को निरस्त कर दिया गया.