बिलासपुर: जिले में पिछले 23 सालों से सोलापुरी माता का उत्सव मनाया जा रहा है. जिले में रहने वाले दक्षिण भारतीय लोग खास तरीके से 7 दिनों तक माता की पूजा-अर्चना करते हैं. इस बार शुक्रवार 21 अप्रैल से ये उत्सव शुरू हुआ है. सात दिनों तक देवी के 7 अलग अलग रूपों को दर्शाया जाएगा और हर दिन हल्दी, चंदन और कुमकुम से मां का शृंगार किया जाएगा. रविवार को आयोजन के तीसरे दिन भक्तों ने मां चामुंडेश्वरी की विशेष पूजा में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया.
हल्दी लेप से चिकन पॉक्स की समस्या दूर: बिलासपुर रेलवे परिक्षेत्र में रहने वाले साउथ इंडियन कम्युनिटी के लोग पिछले 23 सालों से सोलापुरी माता का उत्सव मनाते आ रहे हैं. माता सोलापुरी की पूजा करने का विशेष महत्व है. गर्मी में बढ़ते तापमान के कारण बच्चे और युवा अक्सर चिकन पॉक्स की चपेट में आ जाते हैं. इस बीमारी से छुटकारा दिलाने के लिए माता की पूजा की जाती है. मान्यता है कि जब मां को विराजित कराया जाता है, तभी से मौसम में हल्की ठंडक आ जाती है. कई लोग देवी के शरीर में लगे हल्दी का लेप अपने शरीर पर लगाते हैं. लोगों का मानना है कि ऐसा करने से चिकन पॉक्स का उन पर असन नहीं होता.
उत्सव में हल्दी का है खास महत्व: सोलापुरी माता की पूजा में हल्दी का अलग की महत्व होता है. हल्दी से देवी का स्वरूप तैयार किया जाता है. माता का शृंगार भी हल्दी से होता है. पूजा में भी हल्दी का इस्तेमाल होता है. पूजा करने वाले पंडित से लेकर उनके साथ रहने वाले बटुक इसी हल्दी का लेप पूरे शरीर में लगा कर पूजा करते हैं. ये बटुक पुजारी का सहयोग करते हैं, इसलिए इन्हें भी हल्दी लगाई जाती है.