गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: नवगठित जिला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में निजी अस्पतालों का बड़ा खेल चल रहा है. गौरेला के पिनाकी मेटरनिटी केयर हॉस्पिटल में बिना सुविधा के ही 90 फीसदी से ज्यादा गर्भवती महिलाओं का सिजेरियन प्रसव करा दिया गया. जबकि अस्पताल में सामान्य प्रसव की संख्या 10 फीसदी से भी कम है. मामले में स्वास्थ विभाग की भी बड़ी लापरवाही सामने आई है. जिला अस्पताल में ही कोई ना ही OT टेबल है ना ऑपरेशन थिएटर है और न ही कोई एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट है. ऐसे में ग्रामीण प्राइवेट हॉस्पिटल में सिजेरियन ऑपरेशन कराने को मजबूर हैं. केस सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है.
नवगठित जिला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह वेंटिलेटर पर है. वैसे तो प्रशासन ने खानापूर्ति करते हुए एमसीएच अस्पताल को जिला अस्पताल के रूप में परिवर्तित कर दिया, लेकिन ना तो स्वास्थ्य सुविधा बढ़ाई गई ना डॉक्टर मिले. जिसका खामियाजा आदिवासी इलाके के ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है. बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के नाम पर प्राइवेट अस्पताल जमकर मुनाफाखोरी कर रहे हैं. पेंड्रारोड के अमरकंटक मुख्य मार्ग पर स्थित पिनाकी मेटरनिटी केयर हॉस्पिटल संचालक ने बिना एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट के पिछले 3 महीने में ही करीब 80 प्रसव करा डालें. जिनमें सिजेरियन प्रसव की संख्या करीब 90 फीसदी है.
हॉस्पिटल के फार्मासिस्ट की मानें तो बीते 3 महीने में 70 से 80 प्रसव के केस आए. जिनमें दो या तीन को छोड़कर बाकी सारे सिजेरियन प्रसव ही हुए. इतना ही नहीं अस्पताल में एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट का काम भी कोई दूसरा कर रहा है. जबकि रिकॉर्ड में एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट के लिए किसी और का नाम लिखा हुआ है. हालांकि इस केस में अस्पताल प्रशासन का कहना है कि यहां ज्यादातर ऐसे ही केस आते है जिनका सामान्य प्रसव नहीं हो सकता. इसलिए उन्हें सबका सिजेरियन ही करना पड़ता है.
चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर पोस्टेड ही नहीं