बिलासपुर:ग्रामीण अंचलों में लाॅकडाउन के चलते गांव-गांव में नाकेबंदी कर दी गई है. बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. ऐसे में आदिवासी ग्रामीण जंगलों में महुआ बीनने का काम कर रहे हैं.
महुआ बिन ग्रामीण कर रहे जीवनयापन महुआ बीनने के दौरान गांववाले सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन कर रहे हैं. कोटा विधानसभा क्षेत्र के गांव कर्रा के लोग जीवनयापन के लिए महुआ बीनने का काम कर रहे हैं. सुबह से ही ये ग्रामीण अपने परिवार के साथ खेतों और जंगलों में महुआ बीनने निकल जाते हैं.
इस सीजन महुआ कम देखा जा रहा है, इसलिए ग्रामीण समय बर्बाद किए बगैर काम में जुट गए हैं. बता दें कि महुआ से शराब बनाई जाती है. इसके अलावा आदिवासी संस्कृति में महुआ का विशेष महत्व है. इस समय महुआ की कीमत 30 रुपए प्रति किलोग्राम है.
गांव के किराना दुकानों में बेच रहे महुआ
रतनपुर क्षेत्र की किराना दुकानों में महुआ खरीदा जा रहा है. जहां पर व्यापारियों को आदिवासी महुआ बेचते हैं, उसके बाद महुआ बाजार में बेचा जाता है.