बिलासपुर: कोटा क्षेत्र के गांव छतौना के आदिवासी सरपंच की आत्महत्या का मामला अब सियासी रंग लेने लगा है. रेत माफियाओं के दवाब में आत्महत्या करने का मामला उजागर होने के बाद कोटा विधायक रेणु जोगी ने इसे रेत उत्तखनन को लेकर अपनाई गई राज्य सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए आदिवासी समाज के लिए एक दुखद घटना बताया है.
रेणु जोगी का कहना है कि बहुत पहले बिना किसी पंचायत पर दवाब देते हुए सबके लिए रेत उत्तखनन की नीति अपनाई जाती थी. आज भी ऐसी नीति की जरूरत है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृति ना हो.
सुसाइड नोट में लिखा है माफियाओं का दवाब
बता दें कि, 14 मॉर्च को ग्राम पंचायत छतौना के आदिवासी सरपंच संत कुमार पैकरा गांव के ही एक तालाब के पास पेड़ पर लटकी मिली थी, सुसाइड नोट में सरपंच ने माफिया पर दबाव बनाने की बात कही थी. इसके आधार पर अलग-अलग राजनीतिक दलों से जुड़े रेत माफियाओं के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है.
8 लोगों का है जिक्र
सुसाइड नोट में 8 लोगों की ओर से प्रताड़ित करने का जिक्र किया गया है. बताया जा रहा है कि, पूर्व में रेत घाट में उत्खनन के लिए किसी अन्य गुट का राज चल रहा था. जिसे चंद महीने पहले बंद कर दिया गया.
प्रतिस्पर्धा में फंसा सरपंच
रेत घाट में फिर दो गुट की प्रतिस्पर्धा सामने आई है और सरेआम रॉयल्टी चोरी का कारोबार होने लगा. दोनों गुटों की प्रतिस्पर्धा में स्थानीय सरपंच फंस गया और फिर मामला इतना बिगड़ गया कि उसने आत्महत्या कर ली. स्थानीय विधायक ने इस मामले में दोषियों के खिलाफ शख्त कार्रवाई और निष्पक्ष जांच की मांग की है.