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Reality Check: खुले आसमान के नीचे रात गुजारने वालों पर सर्दी का सितम, प्रशासन नहीं ले रहा सुध - मौसम विभाग

बिलासपुर में ठंड का सितम जारी है. इस बीच ETV भारत की टीम शहर में प्रशासन की ओर से ठंड के लिए की गई व्यवस्थाओं का जायजा लेने पहुंची. टीम ने पाया कि शहर के फुटपाथ या सड़क किनारे सोने वाले लोगों के लिए प्रशासन ने कोई इंतजाम नहीं किए हैं.

reality check of arrangements for winter
सर्दी का सितम

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Published : Dec 24, 2020, 6:20 AM IST

Updated : Dec 24, 2020, 12:02 PM IST

बिलासपुर: प्रदेश के कई हिस्सों के अलावा बिलासपुर में भी ठंड का सितम जारी है. शहर में इस बार देर से सही, लेकिन ठंड ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं. बिलासपुर का न्यूनतम तापमान 8 से 9 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है. मौसम विभाग के मुताबिक, आनेवाले दिनों में ठंड का प्रकोप और ज्यादा बढ़ेगा. इन परिस्थितियों में ETV भारत की टीम ने शहर के ऐसे लोगों का हाल जाना, जो फुटपाथ पर रात गुजारने को मजबूर हैं.

सर्दी का सितम

शहर में ऐसे सैकड़ों की तादाद में लोग मिले, जो इस कड़ाके की सर्दी में भी सड़क पर रात गुजारने को मजबूर हैं. इनके पास रहने के लिए घर नहीं है, इसी मजबूरी ने इन्हें खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर किया है. दुःख की बात ये कि इनके पास प्रशासन का कोई नुमाइंदा अभी तक नहीं पहुंचा, जो इनका हाल जाने और कुछ मदद करे.

खुले में सोने को मजबूर लोग

सर्दी में ठिठुर रहे लोग

ETV भारत ने पुराने बस स्टैंड और बिलासपुर रेलवे स्टेशन क्षेत्र का जब जायजा लिया, तो यहां ज्यादातर ऐसे बेबस लोगों की अच्छी-खासी संख्या दिखी, जो कंपकंपाती ठंड में भी रोड पर रात गुजार रहे हैं. दर्जनों रिक्शाचालक ठंड में ठिठुरते दिखे. उन्होंने बताया कि उनकी कोई सुध लेनेवाला नहीं है. स्टेशन के बाहर बने शेड में भी अगर ये रात गुजारने पहुंचते हैं, तो इन्हें स्थानीय पुलिस के डंडे का सामना करना पड़ता है. फिर मजबूरन उन्हें खुले आसमान के नीचे रात गुजारनी पड़ती है.

पढ़ें:Reality Check: जगदलपुर में अचानक लुढ़का पारा, ठंड में ठिठुर रहे फुटपाथ पर रहने वाले लोग

प्रशासन से नहीं मिल रही मदद

प्रशासन ने भी इन्हें अब तक कोई मदद नहीं पहुंचाई है. इनके पास न अलाव की व्यवस्था है और न ही गर्म कपड़ों की. पहले इन्हें कोरोना काल में काम के संकट ने परेशान कर रखा था, अब सर्दी के सितम से इनकी परेशानी और बढ़ गई है. कुछ बेघर रिक्शाचालकों ने बताया कि वो रात में जैसे-तैसे रिक्शे में ही सो जाते हैं. वो लकड़ियां चुनकर लाते हैं और फिर खाना पकाते हैं. रिक्शाचालकों ने बताया कि रिक्शा ही उनकी जिंदगी है और रिक्शा ही उनका आशियाना.

खाना पकाते रिक्शा चालक

भूखी-प्यासी दिखीं महिलाएं

पड़ताल के दौरान ETV भारत को कुछ महिलाएं भी मिलीं, जो घर से निकाल दी गई थीं. वे सभी स्टेशन के पास भूखी-प्यासी दिखीं. सचमुच जो हालात दिखे, वो बिलासपुर के संस्कारधानी कहलाने के नाम पर एक धब्बा जैसा है. अब देखने वाली बात ये होगी कि जिम्मेदार प्रशासन की नींद आखिर कब तक खुलती है.

Last Updated : Dec 24, 2020, 12:02 PM IST

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