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बिलासपुर : शालीनता से मनाया जा रहा रक्षाबंधन का त्योहार - rakshabandhan

छत्तीसगढ़ में कोरोना के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इस बीच त्योहारों के रंग फीके पड़ गए हैं, लेकिन रक्षाबंधन पर भाई-बहनों का प्यार कम नहीं हुआ. देश-प्रदेश के साथ ही न्यायधानी बिलासपुर में भी रक्षाबंधन का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है.

Rakshabandhan festival is being celebrated politely in Bilaspur
बिलासपुर में शालीनता से मनाया जा रहा रक्षाबंधन का त्योहार

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Published : Aug 3, 2020, 7:50 PM IST

बिलासपुर :पूरे देश में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है. न्यायधानी बिलासपुर में भी रक्षा बंधन का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. लॉकडाउन और कोरोना के संकट के बावजूद भाई-बहनों के उत्साह में कोई कमी नजर नहीं आ रही है.

भाई को राखी बांधती बहन

रक्षाबंधन का त्योहार होने के कारण सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक मिठाई की दुकानों को भी खोल दिया गया था, जहां लोगों की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली. त्योहार के मद्देनजर लॉकडाउन के नियमों में भी प्रशासनिक आदेश के बाद छूट दी गई. हालांकि बड़े पैमाने पर लोगों ने पहले से ही जरूरी खरीददारी कर ली थी और राखी को शालीनता के साथ मनाने का मन बना लिया था. वहीं पुलिस प्रशासन भी जगह-जगह मुस्तैद नजर आ रहा है और किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए प्रशासनिक तैयारी भी की गई है.

बिलासपुर में शालीनता से मनाया जा रहा रक्षाबंधन का त्योहार

इसलिए मनाया जाता है रक्षाबंधन

शास्त्रों के अनुसार एक बार देवासुर संग्राम हुआ था, जिसमें देवताओं की पराजय हो गई. तब इंद्र देव गुरु बृहस्पति के पास गए और उन्हें अपनी पराजय के बारे में बताया. इंद्र ने कहा कि इस पराजय का बदला लेने के लिए हमें युद्ध तो करना ही होगा. यह बात इंद्राणी ने सुन ली. तब इंद्राणी ने कहा कि वह आप सभी के लिए एक रक्षा सूत्र तैयार करेंगी, जिसे विधि-विधान से ब्राह्मणों के द्वारा बंधवा लें. इसके बाद सभी देवताओं ने रक्षा सूत्र बांधा और विजय प्राप्त की. तभी से बहनों की ओर से भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने का प्रचलन हो गया.

रक्षाबंधन की पौराणिक मान्यता

रक्षाबंधन की पौराणिक मान्यताओं को बताते हुए वरिष्ठ सामाजिक जानकार डॉक्टर विनय कुमार पाठक बताते हैं कि पुराणों में रक्षासूत्र की बात कही गई है, जो पुरोहितों और जजमानों के बीच के संबंध को बताता है. धर्म के अनुसार पुरोहित अपने जजमानों की रक्षा करते हैं और उन्हें वचन देते हुए रक्षासूत्र पहनाते हैं.

रक्षाबंधन से जुड़ी मान्यता

यह परंपरा मुगलकालीन समय की मांग को देखते हुए भाई-बहनों के त्योहार के रूप में आगे बढ़ाई गई. मुगलों की ज्यादती की वजह से भाइयों ने बहनों की रक्षा की बागडोर संभाली और रक्षाबंधन की परंपरा और ज्यादा विकसित हुई.

रक्षाबंधन में बना आयुष्मान दीर्घायु का संयोग

रक्षाबंधन का त्यौहार श्रावण महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इसलिए इसे कई जगह राखी पूर्णिमा भी कहते हैं. इस बार के रक्षाबंधन में सर्वार्थ सिद्धि और आयुष्मान दीर्घायु का संयोग भी बन रहा है. खास बात यह है कि इस दिन सावन का आखिरी सोमवार भी है.

रक्षा सूत्र बांधने की विधि

ज्योतिषाचार्य पंडित देवेंद्र आचार्य के अनुसार बहनों को रक्षाबंधन पर भाई की कलाई पर राखी बांधने के दौरान विशेष आरती करनी चाहिए. रोली चंदन और अक्षत लगाकर रक्षा सूत्र बांधना चाहिए. साथ ही भाई का मुंह मीठा भी करवाना चाहिए.

पढ़ें:SPECIAL: इस बार की राखी कोरोना काल वाली, जानिए रक्षाबंधन की पौराणिक मान्यताएं

सुबह 9:28 से राखी का शुभ मुहूर्त

राखी बांधने के लिए मुहूर्त की बात की जाए तो राखी बांधने के लिए दिनभर मुहूर्त है. यह मुहूर्त सुबह 9:28 मिनट से शुरू होकर रात 9:27 मिनट तक है. रक्षाबंधन के दिन बहुत ही अच्छे ग्रह नक्षत्रों का संयोग बन रहा है. इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग होने के कारण सारी मनोकामनाएं पूरी होती है.

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