बिलासपुर :पूरे देश में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है. न्यायधानी बिलासपुर में भी रक्षा बंधन का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. लॉकडाउन और कोरोना के संकट के बावजूद भाई-बहनों के उत्साह में कोई कमी नजर नहीं आ रही है.
रक्षाबंधन का त्योहार होने के कारण सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक मिठाई की दुकानों को भी खोल दिया गया था, जहां लोगों की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली. त्योहार के मद्देनजर लॉकडाउन के नियमों में भी प्रशासनिक आदेश के बाद छूट दी गई. हालांकि बड़े पैमाने पर लोगों ने पहले से ही जरूरी खरीददारी कर ली थी और राखी को शालीनता के साथ मनाने का मन बना लिया था. वहीं पुलिस प्रशासन भी जगह-जगह मुस्तैद नजर आ रहा है और किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए प्रशासनिक तैयारी भी की गई है.
इसलिए मनाया जाता है रक्षाबंधन
शास्त्रों के अनुसार एक बार देवासुर संग्राम हुआ था, जिसमें देवताओं की पराजय हो गई. तब इंद्र देव गुरु बृहस्पति के पास गए और उन्हें अपनी पराजय के बारे में बताया. इंद्र ने कहा कि इस पराजय का बदला लेने के लिए हमें युद्ध तो करना ही होगा. यह बात इंद्राणी ने सुन ली. तब इंद्राणी ने कहा कि वह आप सभी के लिए एक रक्षा सूत्र तैयार करेंगी, जिसे विधि-विधान से ब्राह्मणों के द्वारा बंधवा लें. इसके बाद सभी देवताओं ने रक्षा सूत्र बांधा और विजय प्राप्त की. तभी से बहनों की ओर से भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने का प्रचलन हो गया.
रक्षाबंधन की पौराणिक मान्यता
रक्षाबंधन की पौराणिक मान्यताओं को बताते हुए वरिष्ठ सामाजिक जानकार डॉक्टर विनय कुमार पाठक बताते हैं कि पुराणों में रक्षासूत्र की बात कही गई है, जो पुरोहितों और जजमानों के बीच के संबंध को बताता है. धर्म के अनुसार पुरोहित अपने जजमानों की रक्षा करते हैं और उन्हें वचन देते हुए रक्षासूत्र पहनाते हैं.
रक्षाबंधन से जुड़ी मान्यता