बिलासपुर: बिलासपुर, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का महत्वपूर्ण रेल मंडल है. बिलासपुर के झारसुगुड़ा-बिलासपुर-रायपुर-नागपुर सेक्शन पर कवच सुरक्षा तकनीक का सफल परीक्षण किया गया है. इस तकनीक के जरिए अब भारतीय रेलवे में ट्रेनों की टक्कर को रोका जा सकता है. रेलवे बोर्ड ने कवच सुरक्षा तकनीक का सफल परीक्षण किया है. अब इस तकनीक से आमने सामने की टक्कर को रोका जा सकता है. रेलवे ने इस तकनीक के माध्यम से ट्रेनों की टक्कर से हजारो यात्रियों की रेले यात्रा को सुरक्षित करने का काम किया है. इस ऑटोमैटिक तकनीक के जरिए अब दो गाड़ियों के बीच आमने-सामने के टक्कर नहीं होगी
कवच सुरक्षा प्रणाली से रेलवे को होगा फायदा क्या है कवच सुरक्षा प्रणाली
कवच सुरक्षा प्रणाली देश में विकसित की गई रेलवे की एंटी कॉलिजन डिवाइस है. जिससे रेल रूट पर एक्सीडेंट को रोका जा सकता है. इस प्रणाली की सहायता से ट्रेन दुर्घटनाओं के मामलों में कमी आज सकती है. कम किया जा सकता है. रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक, इस डिजिटल सिस्टम में रेड सिग्नल या किसी अन्य खराबी जैसे कोई मैन्युअल फॉल्ट की समस्या आती है तो ट्रेनें अपने आप रुक जाया करेंगी. जिससे रेल हादसों पर लगाम लग सकेगा
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कैसे काम करता है कवच सुरक्षा तकनीक
भारतीय रेलवे बोर्ड ने ट्रेनों की आमने सामने की टक्कर को रोकने कई प्रयास किये थे, लेकिन अब इस प्रयास से रेलवे ने सुरक्षित और कारगर तकनीक को अपना लिया है. इसके लिए पिछले दिनों रेल मंत्री ने कवच सुरक्षा तकनीक का सफल परीक्षण किया. इस ऑटोमैटिक तकनीक के जरिए अब दो गाड़ियों के बीच आमने -सामने से टक्कर नहीं होगी. खास बात ये है कि, इस तकनीक को देश में तैयार किया गया है. ये तकनीक पूरी तरह स्वदेशी तकनीक है. पिछले दिनों केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दक्षिण मध्य रेलवे के सिकंदराबाद मंडल में लिंगमपल्ली-विकाराबाद खंड पर लालागुड़ा-चिटगिड्डा रेलवे स्टेशनों के बीच 'कवच' कार्य प्रणाली के परीक्षण का निरीक्षण किया. परीक्षण के दौरान ट्रेनों को आमने-सामने से चलाया गया. इस तकनीक के परीक्षण में सफलता मिली. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव खुद इस दौरान ट्रेन में सवार थे. इस परीक्षण में रेलवे को सफलता मिली.
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कवच सुरक्षा सिस्टम इस तरह से तैयार किया गया है कि अगर एक लोको इंजन के सामने दूसरा लोको आ जाए तो 380 मीटर की दूरी से कवच इंजन को तुरंत रोक देता है. सामने फाटक आने पर कवच ड्राइवर के बिना आप सीटी बजाना शुरू कर देता है. रेलवे ने लूप-लाइन क्रॉसिंग को भी टेस्ट किया गया, जिसमें लूप-लाइन को पार करते समय कवच ऑटोमैटिक रूप से इंजन की स्पीट को घटाकर 30 किमी प्रति घंटे कर देता है. SPAD टेस्ट में देखा गया कि रेड सिग्नल सामने होने पर कवच इंजन को आगे बढ़ने नहीं दे रहा है
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रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी में कवच सुरक्षा तकनीक का किया गया परीक्षण
रेलवे सूत्रों के मुताबिक रेल मंत्री लोकोमोटिव पर सवार थे. जो लालागुड़ा से चिटगिड्डा की ओर चलाया गया था. दूसरी तरफ चिटगिड्डा से लालागुडा की ओर दूसरी ट्रेन उसी दिशा में बढ़ी. जिससे आमने-सामने ट्रेन के टक्कर की स्थिति पैदा हो गई. कवच सुरक्षा प्रणाली लगे होने की वजह से दोनों ट्रेन 380 मीटर की दूरी पर रुक गई. जिससे हादसा टल गया. साथ ही,लाल सिग्नल को पार करने का परीक्षण किया गया. हालांकि,लोकोमोटिव ने लाल सिग्नल को पार नहीं किया क्योंकि 'कवच' के लिए ब्रेक लगाना अनिवार्य हो गया था. सिग्नल के पास आने पर स्वचालित सीटी की आवाज तेज और स्पष्ट थी. परीक्षण के दौरान चालक दल ने ध्वनि और ब्रेकिंग सिस्टम को मैन्युअल रूप से नहीं छुआ. लोकोमोटिव को लूप लाइन पर चलाने के दौरान 30 किमी प्रति घंटे की गति प्रतिबंध का परीक्षण किया गया था. लोकोमोटिव के लूप लाइन में प्रवेश करते ही 'कवच' ने गति को 60 किमी प्रति घंटे से घटाकर 30 किमी प्रति घंटा कर दिया.
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कवच सुरक्षा तकनीक की विशेषताएं
1-खतरे में सिग्नल पासिंग की रोकथाम
2-ड्राइवर मशीन इंटरफेस, लोको पायलट ऑपरेशन कम इंडिकेशन पैनल (एलपीओसीआईपी) में सिग्नल पहलुओं के प्रदर्शन के साथ मूवमेंट अथॉरिटी का निरंतर अध्ययन
3-ओवर स्पीडिंग की रोकथाम के लिए स्वचालित ब्रेक लगाना
4-रेलवे फाटकों के पास पहुंचते समय ऑटोमैटिक सीटी का बजना
5-कार्यात्मक कवच से लैस दो इंजनों के बीच टकराव की रोकथाम
6-आपातकालीन स्थितियों के दौरान एसओएस संदेश
7-नेटवर्क मॉनिटर सिस्टम के माध्यम से ट्रेन की आवाजाही की केंद्रीकृत लाइव निगरानी
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