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DEDICATED FREIGHT CORRIDOR : 100 किमी की औसत रफ्तार से दौड़ेंगी मालगाड़ियां, बढ़ेगा कारोबार

देश में मालगाड़ियों के परिवहन की असुविधा को खत्म करने के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21-22 के रेल बजट में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की घोषणा हुई थी. इस योजना का क्रियान्वयन केंद्रीय रेल मंत्रालय करेगा. यह डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर सिर्फ और सिर्फ मालगाड़ियों के लिए ही समर्पित रहेगा. इस ट्रैक पर स्पेसियली मालगाड़ियों का ही परिचालन किया जाएगा. इसपर सिर्फ और सिर्फ माल लदान और ढुलाई ही हो सकेगी.

Bilaspur Railway Station
कॉरिडोर बन जाने के बाद कारोबार को मिलेगी गति

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Published : Oct 29, 2021, 7:02 PM IST

Updated : Oct 29, 2021, 10:42 PM IST

बिलासपुर :रेलमार्ग किसी भी शहर या देश के लिए परिवहन का रीढ़ माना जाता है. यह सिर्फ यात्री परिवहन के लिए ही नहीं बल्कि मालवाहक रेलगाड़ियों के परिवहन और माल ढुलाई के नजरिये से भी काफी महत्वपूर्ण होता है. देश में मालगाड़ियों के परिवहन की असुविधा को खत्म करने के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21-22 के रेल बजट में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (Dedicated Freight Corridor) की घोषणा हुई थी. इस योजना का क्रियान्वयन केंद्रीय रेल मंत्रालय (Union Ministry of Railways) करेगा. इसके तहत देश के एक छोर से दूसरे छोर को जोड़ा जाएगा. इस योजना में 16 सौ किलोमीटर की रेल लाइन बनाई जाएगी, जो सिर्फ और सिर्फ मालगाड़ियों के परिवहन (Transport Of Goods Trains) के लिए ही होगी. साथ ही इस रेल लाइन पर सिर्फ माल ढुलाई का ही काम किया जाएगा.

कॉरिडोर बन जाने के बाद कारोबार को मिलेगी गति

क्या है डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर...?

जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है डेडिकेटेड, मतलब समर्पित. यह डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर सिर्फ और सिर्फ मालगाड़ियों के लिए ही समर्पित रहेगा. इस ट्रैक पर स्पेसियली मालगाड़ियों का ही परिचालन किया जाएगा. इसपर सिर्फ और सिर्फ माल लदान और ढुलाई ही हो सकेगी. इस कॉरिडोर के निर्माण से रेलवे देश में माल ढुलाई के क्षेत्र में इकोनॉमी के पहियों को भी तेजी प्रदान करेगा. इससे देश भर में कुल 10,222 किमी लंबा नया रूट तैयार होगा, जो रेलवे के कुल रूट का 16 फीसदी हिस्सा होगा.

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर

साल 2005 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने किया था प्रोजेक्ट का ऐलान

जिस तरह देश के सभी कोनों को जोड़ने के लिए राजमार्गों के स्वर्णिम चतुर्भुच (गोल्डेन ट्राइएंगल) का निर्माण किया गया, उसी तरह पूरे देश को सिर्फ माल ढुलाई के लिए समर्पित रेलवे लाइन से जोड़ने के लिए रेलवे द्वारा भी स्वर्णिम चतुर्भुज और दो डायगोनल का निर्माण किये जाने का प्रस्ताव रखा गया. साल 2005 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने इस प्रोजेक्ट का ऐलान किया था.

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर

डेडिकेटेड कॉरिडोर की जरूरत क्यों...?

गौरतलब है कि आजादी के बाद 1950-51 में कुल माल ढुलाई में रेलवे का हिस्सा 83 फीसदी था, लेकिन साल 2011-12 तक यह घटकर 35 फीसदी तक आ गया. दूसरी तरफ देश में कुल सड़क जाल का महज आधा फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले नेशनल हाईवे द्वारा कुल सड़क माल ढुलाई का 40 फीसदी हिस्सा जाता है. इसकी वजह से रेलवे में माल ढुलाई बढ़ाने के प्रयास के तहत यह बड़ा कदम उठाया गया था. फ्रेट कॉरिडोर के लिए दोहरी लाइन तैयार की जाएगी और इसमें केवल माल लदान और उतारने के लिए ही स्टेशन बनाए जाएंगे.

बुनियादी ढांचे के विकास पर भारी निवेश की है योजना

देश में बु​नियादी ढांचे के विकास पर आगामी वर्षों में सरकार की भारी निवेश की योजना है. उद्योगों का तेजी से विकास हो रहा है. बिजली की बढ़ती जरूरतों के लिए कोयले की ढुलाई लगातार बढ़ती जा रही है. इन सब वजहों से माल ढुलाई के लिए अलग से ऐसी लाइन के विकास की जरूरत महसूस हुई, जिन पर सिर्फ मालगाड़ियां चलें. ताकि किसी तरह का डिस्टर्बेंस न हो और माल तेजी से देश के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचाया जा सके.

जानिये, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के विकास की कहानी...

1. अप्रैल 2005: तत्कालीन प्रधानमंत्री और रेल मंत्री ने की थी इस प्रोजेक्ट की घोषणा.

2. फरवरी 2006: CCEA ने इस प्रोजेक्ट को इन प्रिंसिपल पर दी थी मंजूरी.

3. अक्टूबर 2006: एक सरकारी कंपनी के रूप में DFCCIL का किया गया गठन.

4. जून 2015: CCEA ने प्रोजेक्ट के लिए 81,459 करोड़ रुपये की लागत अनुमान को किया मंजूर.

4. अक्टूबर 2019: खुर्जा-भदान सेक्शन (194 Km) में ट्रायल ट्रेन रन की शुरुआत.

5. दिसंबर 2019: रेवाड़ी-मदार सेक्शन (306 Km) में ट्रायल रन की शुरुआत.

6. दिसंबर 2020: ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के खुर्जा-भाऊपुर सेक्शन का उद्घाटन.

चार नए कॉरिडोर के निर्माण का ऐलान

साल 2010 के बजट में तत्कालीन रेल मंत्री ने चार नए कॉरिडोर के निर्माण का ऐलान किया था. इनमें ये चारों कॉरिडोर शामिल थे.

1. ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर (कोलकाता से मुंबई) करीब 1976 किमी.

2. नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर (दिल्ली-चेन्नई) करीब 2173 किमी.

3. ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर (खड़गपुर-विजयवाड़ा) करीब 1100 किमी.

4. साउदर्न कॉरिडोर (चेन्नई-गोवा) करीब 899 किमी.

यह हाईस्पीड कॉरिडोर, जिसपर औसत गति होगी 100 किमी

यह हाईस्पीड कॉरिडोर है, जिसपर मालगाड़ियों की औसत गति 75 किमी प्रति घंटा से बढ़कर 100 किमी प्रति घंटा तक हो जाएगी. इससे रेलवे को माल की लदान और ढुलाई समेत मालगाड़ियों की आवाजाही तेज होगी. इससे कारोबारी गतिविधियां भी तेज होंगी और अर्थव्यवस्था की स्पीड बढ़ेगी. भारतीय रेल के इतिहास में पहली बार मोबाइल रेडियो कम्युनिकेशन और GSM आधारित ट्रैकिंग सिस्टम का इस्तेमाल होगा, यानी इससे मालगाड़ियों की ट्रैकिंग भी की जा सकेगी.

इस कॉरिडोर में बिलासपुर के 30 से ज्यादा गांव रहेंगे शामिल

बिलासपुर के 30 से भी ज्यादा गांव इस कॉरिडोर में शामिल रहेंगे. ऐसे में क्षेत्र में औद्योगिक विकास के साथ माल लदान और रेलवे की आय के लिहाज से प्रस्तावित कॉरिडोर को रेलवे के अगले बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का हिस्सा माना जा रहा है. रेल अधिकारियों की माने तो, प्रोजेक्ट को लेकर काम शुरू हो गया है. प्रारंभिक चरण में सर्वे का काम किया जा रहा है, जिसके बाद राज्य सरकारों के साथ मिलकर भूमि अधिग्रहण सहित अन्य काम किए जाएंगे. गौरतलब है कि 2020 -21 -22 के बजट में ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर को शामिल किया गया है, जिसपर अब काम शुरू हो रहा है.

जोन को होंगे यह लाभ, नई इंडस्ट्री खड़ी होंगी

केंद्रीय वित्त एवं कारपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में 2021-22 का केंद्रीय बजट पेश किया था. इसमें ही अलग-अलग रेलवे के लिए चिह्नित कॉरिडोर में एक भुसावल-खड़गपुर-दानकुनी भी शामिल है. इसके बनने से दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे को फायदा होगा. यह कॉरिडोर जोन के बिलासपुर समेत सारे प्रमुख स्टेशनों से होकर गुजरेगा. इससे नई इंडस्ट्री स्थापित होंगी. जाहिर है कि अलग रेल लाइन से बिना ट्रैफिक दबाव के मालगाड़ियों का परिचालन किया जा सकता है. इससे माल लदान बढ़ेगा और रेलवे की आय में भी इजाफा होगा. हालांकि इस परियोजना को पूरा होने में अभी वक्त लगेगा. पहले चरण में सर्वे होगा.

Last Updated : Oct 29, 2021, 10:42 PM IST

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