बिलासपुर :रेलमार्ग किसी भी शहर या देश के लिए परिवहन का रीढ़ माना जाता है. यह सिर्फ यात्री परिवहन के लिए ही नहीं बल्कि मालवाहक रेलगाड़ियों के परिवहन और माल ढुलाई के नजरिये से भी काफी महत्वपूर्ण होता है. देश में मालगाड़ियों के परिवहन की असुविधा को खत्म करने के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21-22 के रेल बजट में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (Dedicated Freight Corridor) की घोषणा हुई थी. इस योजना का क्रियान्वयन केंद्रीय रेल मंत्रालय (Union Ministry of Railways) करेगा. इसके तहत देश के एक छोर से दूसरे छोर को जोड़ा जाएगा. इस योजना में 16 सौ किलोमीटर की रेल लाइन बनाई जाएगी, जो सिर्फ और सिर्फ मालगाड़ियों के परिवहन (Transport Of Goods Trains) के लिए ही होगी. साथ ही इस रेल लाइन पर सिर्फ माल ढुलाई का ही काम किया जाएगा.
क्या है डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर...?
जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है डेडिकेटेड, मतलब समर्पित. यह डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर सिर्फ और सिर्फ मालगाड़ियों के लिए ही समर्पित रहेगा. इस ट्रैक पर स्पेसियली मालगाड़ियों का ही परिचालन किया जाएगा. इसपर सिर्फ और सिर्फ माल लदान और ढुलाई ही हो सकेगी. इस कॉरिडोर के निर्माण से रेलवे देश में माल ढुलाई के क्षेत्र में इकोनॉमी के पहियों को भी तेजी प्रदान करेगा. इससे देश भर में कुल 10,222 किमी लंबा नया रूट तैयार होगा, जो रेलवे के कुल रूट का 16 फीसदी हिस्सा होगा.
साल 2005 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने किया था प्रोजेक्ट का ऐलान
जिस तरह देश के सभी कोनों को जोड़ने के लिए राजमार्गों के स्वर्णिम चतुर्भुच (गोल्डेन ट्राइएंगल) का निर्माण किया गया, उसी तरह पूरे देश को सिर्फ माल ढुलाई के लिए समर्पित रेलवे लाइन से जोड़ने के लिए रेलवे द्वारा भी स्वर्णिम चतुर्भुज और दो डायगोनल का निर्माण किये जाने का प्रस्ताव रखा गया. साल 2005 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने इस प्रोजेक्ट का ऐलान किया था.
डेडिकेटेड कॉरिडोर की जरूरत क्यों...?
गौरतलब है कि आजादी के बाद 1950-51 में कुल माल ढुलाई में रेलवे का हिस्सा 83 फीसदी था, लेकिन साल 2011-12 तक यह घटकर 35 फीसदी तक आ गया. दूसरी तरफ देश में कुल सड़क जाल का महज आधा फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले नेशनल हाईवे द्वारा कुल सड़क माल ढुलाई का 40 फीसदी हिस्सा जाता है. इसकी वजह से रेलवे में माल ढुलाई बढ़ाने के प्रयास के तहत यह बड़ा कदम उठाया गया था. फ्रेट कॉरिडोर के लिए दोहरी लाइन तैयार की जाएगी और इसमें केवल माल लदान और उतारने के लिए ही स्टेशन बनाए जाएंगे.
बुनियादी ढांचे के विकास पर भारी निवेश की है योजना
देश में बुनियादी ढांचे के विकास पर आगामी वर्षों में सरकार की भारी निवेश की योजना है. उद्योगों का तेजी से विकास हो रहा है. बिजली की बढ़ती जरूरतों के लिए कोयले की ढुलाई लगातार बढ़ती जा रही है. इन सब वजहों से माल ढुलाई के लिए अलग से ऐसी लाइन के विकास की जरूरत महसूस हुई, जिन पर सिर्फ मालगाड़ियां चलें. ताकि किसी तरह का डिस्टर्बेंस न हो और माल तेजी से देश के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचाया जा सके.
जानिये, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के विकास की कहानी...
1. अप्रैल 2005: तत्कालीन प्रधानमंत्री और रेल मंत्री ने की थी इस प्रोजेक्ट की घोषणा.
2. फरवरी 2006: CCEA ने इस प्रोजेक्ट को इन प्रिंसिपल पर दी थी मंजूरी.
3. अक्टूबर 2006: एक सरकारी कंपनी के रूप में DFCCIL का किया गया गठन.
4. जून 2015: CCEA ने प्रोजेक्ट के लिए 81,459 करोड़ रुपये की लागत अनुमान को किया मंजूर.