बिलासपुर: आरएसएस प्रमुख डॉ मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) मुंगेली के मदकू द्वीप (Madku dweep) में आरएसएस के घोष शिविर (RSS Ghosh camp) में शामिल हए. यहां उन्होंने 119 गांवों के ग्राम प्रमुखों से मुलाकात की. भागवत ने अपने संबोधन (Bhagwat in his address) में कहा कि दूसरों को अपनाने वाला यह देश और यहां के लोग कभी भी किसी को बदलने के लिए बाध्य नहीं करते. बल्कि सबको साथ लेकर चले हैं. इसलिए पूरी दुनिया में भारत के लोगों की इज्जत है. यही वजह है कि उन्हें सम्मान मिलता है. भाषण में संघ प्रमुख मतांतरण को लेकर जमकर (Said on the conversion) बरसे. संघ प्रमुख ने अलग अलग उदाहरणों के साथ मतांतरण करने वालों को चेतावनी देते हुए हिंदुओं से संगठित होने की अपील की.
संघ प्रमुख का मदकू द्वीप दौरा संघ प्रमुख ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि, पूर्णिमा और गुरुनानक देव की जयंती (Purnima and birth anniversary of Guru Nanak Dev) का आज पवित्र दिन है. संघ प्रमुख ने कहा कि, हम सम्पूर्ण दुनिया को अपना कुटुंब मानने वाले लोग हैं. हम मतांतरण नहीं सिखाते हैं और न ही हमें किसी को बदलने की आवश्कता है. लेकिन हम हमारे लोगों को किसी को बदलने भी नहीं देने वाले हैं. इसके लिए हमें संगठित होकर धर्म की रक्षा करनी होगी.
मदकूद्वीप: घोष शिविर में शामिल हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत, 'मतांतरण नहीं जीना सीखाता है हिंदू धर्म'
हिंदू धर्म जीने का तरीका
डॉ मोहन भागवत (Dr. Mohan Bhagwat) ने कहा कि, जिसे लोग हिंदू धर्म (Hindu Religion) कहते हैं, वो पूजा नहीं बल्कि जीने का तरीका है. संघ प्रमुख ने कहा कि, घोष के सुर की तरह हमारे देश का भी एक सुर है. कोई देश के सुर को बिगाड़ने की कोशिश करता है तो देश का ताल यानी संविधान (Constitution) उस सुर को ठीक करने का काम करता है. हमारे धर्म में हर धरा, घट घट में राम बसते हैं. भारत को विश्वगुरु (world guru to india) बताते हुए कहा कि, विश्व का कोई भी देश जब लड़खड़ाया है, जब कोई दुनिया में बलशाली हुआ है, उसके कदम भारत की तरफ मुड़े हैं. ऐसे में विश्व गुरु को गढ़ने के लिए आगे भी संगठित होकर सौहार्द के साथ चलना होगा.
संघ प्रमुख मोहन भागवत का मदकू द्वीप दौरा 'शेर भूल गया था कि वो शेर है, इसलिए दूसरे शेर को याद दिलाना पड़ा'
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) ने अपने भाषण में शेर और बकरी की कहानी सुनाई. इस कहानी में उन्होंने बताया कि एक अनाथ शेर के बच्चे को देखकर बकरी चराने वाले एक गरड़िया को तरस आया और वह उसे लेकर आ गया. शेर का बच्चा बकरियों के साथ रह रहकर उनके जैसा ही हो गया था. वह भूल गया था कि वह शेर है. जवान होकर भी बकरी जैसा था. तभी दूसरे शेर ने उसे पानी में उसका प्रतिबिम्ब दिखाकर याद दिलाया. जैसे ही जंगल में इसने दहाड़ा तो फिर बकरी और गरड़िया भाग गए. शेर को सिर्फ याद दिलाना पड़ा कि वह शेर है. इसी तरह याद दिलाओ शेर को कि वो शेर है. संघ प्रमुख की बात साफ ये दर्शा रही थी कि लोगो को याद दिलाना है कि वो क्या हैं.
राजनीतिक गलियारों में फिर गर्माया धर्मांतरण का मुद्दा
मोहन भागवत के आने से एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में धर्मांतरण की चर्चाएं (Discussions of conversion in politics) शुरू हो गई हैं. माना जा रहा है कि आने वाले समय में प्रदेश की राजनीति में धर्मांतरण का मुद्दा प्रभावी हो सकता है. यह मुद्दा फिर प्रदेश में गरमाएगा.
हरि हर की भूमि है मदकूद्वीप-भागवत
मदकू द्वीप (Madkudweep) को मोहन भागवत ने हरि और हर की भूमि बताया. उन्होंने कहा कि ये भूमि हरि की है और यहां हर बसते हैं. उनके बोलने के पीछे का कारण ये है कि मदकू द्वीप(Madku dweep) में सालों से एक समाज का मेला लगता है और यहां वो धार्मिक अनुष्ठान करते हैं. ऐसे लोगों को बताया कि यहां भगवान शिव के 19 मंदिर मिले हैं. जो ये सबूत है कि ये धरती किसी की नहीं बल्कि हरिहर की धरती है.
हिन्दू धर्म" पूजा का नहीं जीने का तरीका-भागवत
हिन्दू धर्म के विषय में कहा कि हिन्दू धर्म नहीं वो जीने का तरीका है. क्योंकि जब कोई जीने का तरीका भूल जाता है तो हिन्दू धर्म उसे याद दिलाता है कि वो क्या है. इससे पहले संघ प्रमुख ने घोष दलों का घोष प्रदर्शन, प्राचीन अष्टभुजी गणेश, मांडूक्य ऋषि की विशाल प्रतिमा का दर्शन करने के साथ शिवनाथ नदी में दीपदान भी किया. संघ प्रमुख के आगमन को लेकर प्रदेशभर के भाजपा नेता भी मदकूद्वीप पहुंचे थे. जहां पूर्व सीएम रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, सांसद अरुण साव सहित क्षेत्रीय विधायक और पार्टी पदाधिकारी ने भी संघ प्रमुख से मुलाकात कर क्षेत्रीय गतिविधियों की जानकारी दी. इस दौरान संघ प्रचारकों से भी संघ प्रमुख ने संघ की गतिविधियों की जानकारी ली. यहां घोष वादकों के कार्यक्रम में रायपुर और बिलासपुर के घोष वादकों ने अपने घोष का प्रदर्शन किया. 65 मिनट के इस प्रदर्शन के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ध्यान से वादन सुनते रहे. उन्होंने इस वादन की तारीफ की.
भाजपा की जमीन खिसक रही, इसलिए आरएसएस सक्रिय : पीएल पुनिया
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन (RSS chief Mohan Bhagwat) भागवत के छत्तीसगढ़ दौरे पर तंज कसा है. उन्होंने कहा है कि आरएसएस को लग रहा है कि भाजपा की जमीन प्रदेश में खिसक रही है, इसलिए आरएसएस सक्रिय हुआ है.
भाजपा प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास बीजेपी ने संघ प्रमुख के दौरे को बताया गैर राजनीतिक
भाजपा प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि संघ पर टिप्पणी करने से पहले कांग्रेस पार्टी के नेताओं को संघ के बारे में समझने की आवश्यकता है. संघ प्रमुख मोहन भागवत का जो दौरा है वह पूरी तरह से गैर राजनीतिक है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश इकाई से इस दौरे का कोई लेना देना नहीं है. वास्तव में पिछले 3 साल में जो लोग अप्रासंगिक हो चुके हैं. किसानों के बीच में युवाओं के बीच में महिलाओं के बीच में जो लोग आज अपना विश्वास खो चुके हैं उनको संघ प्रमुख के दौरे से किसी प्रकार की आपत्ति और छटपटाहट होना लाजमी हैं. लेकिन संघ प्रमुख का जो दौरा है वास्तव में आरएसएस की विचारधारा का दौरा है हिंदुत्व का दौरा है राष्ट्रवादी सोच का दौरा है.
रायपुर से वरिष्ठ पत्रकार कृष्णा दास जानकारों की अलग-अलग राय
भले ही प्रदेश में अभी विधानसभा चुनाव में काफी समय है. लेकिन दोनों ही बड़ी पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस अभी से चुनावी मो में नजर आ रही है. भले ही एक तरफ कांग्रेस किसानों और पंचायत के जनप्रतिनिधियों को साधने के लिए सौगातों की बौछार कर रही है. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी भी अलग-अलग मुद्दों को उठाकर सरकार को घेरने की फिराक में है. राजनीति के जानकारों के अनुसार मोहन भागवत के दौरे को भी इसी राजनीतिक चश्मे से देखा जा रहा है.
कांग्रेस प्रवक्ता धनजंय सिंह रायपुर से जानकारों के अनुसार प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए एक प्रमुख मुद्दा धर्मांतरण का है. जो पिछले कई महीनों से गरमाया हुआ है. हालांकि सत्ताधारी कांग्रेस इस मुद्दे को खारिज कर रही है. लेकिन बीजेपी के लिए शायद यह सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा हो सकता है.वहीं वरिष्ठ पत्रकार कृष्णा दास मानते हैं कि संघ प्रमुख यह दौरा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत था. इसलिए इसका कोई राजनीतिक विश्लेषण शायद नहीं होना चाहिए. लेकिन जिस जगह में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. निश्चित तौर पर हम यह कह सकते हैं कि धर्मांतरण को ही साध कर संघ ने यह कार्यक्रम निर्धारित किया होगा.