बिलासपुर: 23 अप्रैल को होने वाले चुनाव के लिए सभी पार्टियां जातिगत मुद्दों के आधार पर वोटरों को साधने में लगी हैं. वैसे तो पूरे प्रदेश में इस बार आम चुनाव में जातिगत मुद्दे हावी हैं लेकिन बात हाइप्रोफाइल सीट बिलासपुर की करें तो बिलासपुर में जातिगत मुद्दों का कुछ ज्यादा ही जोर है.
बिलासपुर लोकसभा में राजनीतिक दल लगातार जातिगत समीकरण के जरिए वोट साधने की कोशिश में लगे हैं. तो आइए जानते हैं बिलासपुर जिले के अलग-अलग 6 विधानसभा क्षेत्रों में क्या-क्या है जातिगत समीकरण.
मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र
मस्तूरी विधानसभा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित सीट है. इस सीट पर बसपा, भाजपा और कांग्रेस का बराबर का जोर है. यहां बसपा के बेहतर प्रदर्शन के कारण बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी को फायदा और जीत मिली थी. इससे पहले 2013 में यह सीट कांग्रेस के हाथ में आयी था. मतलब दोनों ही बड़े राजनीतिक दलों के लिए मस्तूरी एक परंपरागत सीट के रूप में नहीं है. लिहाजा भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल की कोशिश रहेगी कि इस बार अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित विधानसभा के इस सीट पर अधिक से अधिक जातिगत वोट को अपने कब्जे में ले.
कोटा विधानसभा क्षेत्र
कोटा विधानसभा की बात करें तो कोटा विधानसभा क्षेत्र में आजादी के बाद से पहली बार बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार मिली है और यहां फिलहाल जेसीसीजे की रेणु जोगी विधायक हैं. यहां अनुसूचित जनजाति वोटरों की संख्या अत्यधिक है साथ ही ओबीसी वोटर भी अच्छे खासे हैं. इस सीट पर भाजपा का परफॉर्मेंस लगातार खराब रहा है लिहाजा भाजपा ने इस सीट पर खास वर्ग के वोटरों को रिझाने के लिए उसी वर्ग के स्थानीय नेताओं को मैदान में उतरा है. वहीं कांग्रेस की कोशिश है कि वो अपनी परंपरागत कोटा विधानसभा को अपने पक्ष में कर लें.