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SPECIAL: अब कोरोना से नहीं भूख से लगता है डर, धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी जिंदगी

बिलासपुर के लोगों ने कोरोना के साथ जीने की आदत डाल ली है. जिंदगी चलाने की मजबूरी कहें या महीनों घरों में कैद रहने के बाद आजादी की चाहत, लोगों ने अब बेझिझक होकर आना-जाना शुरू कर दिया है.

people of bilaspur made a habit of living with corona
पटरी पर लौट रही जिंदगी

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Published : Oct 10, 2020, 1:56 PM IST

बिलासपुर:कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कोहराम मचाया हुआ है. लगभग 69 लाख कोरोना संक्रमण के आंकड़े के साथ भारत दूसरे नंबर पर छाया हुआ है. शुरुआती दौर में जनता कर्फ्यू और लगातार लॉकडाउन से गुजरने के बाद कोरोना के प्रति लोगों के मन में डर समाया हुआ था, लेकिन अब जब अनलॉक की प्रक्रिया से लोग गुजर रहे हैं, तो हर किसी में मनोवैज्ञानिक बदलाव भी देखने को मिल रहा है, या यूं कहें कि जिंदगी अब पटरी पर लौटती नजर आ रही है.

पटरी पर लौट रही जिंदगी

बिलासपुरवासियों में अब कोरोना से लड़ने की ताकत

ETV भारत ने बिलासपुर वासियों के मन को टटोलने की कोशिश की. अनलॉक की प्रक्रिया से गुजर रहे बिलासपुर शहर में भी अब लोगों में गजब का बदलाव देखने को मिल रहा है. शहरवासियों ने बताया कि अब उन्हें पहले की तरह डर नहीं लग रहा है. लोगों के अंदर शुरुआती दिनों में कोरोना को लेकर जो डर का माहौल था, वो अब कम होता नजर आ रहा है.

इस दौरान लोगों से बातचीत में ये बात निकलकर सामने आई कि लोगों ने कोरोना से मुकाबला करने की मानसिक ताकत हासिल कर ली है. इस वजह से लोग अब कोरोना के भय से दूर हैं. ETV भारत की टीम ने फुटपाथ पर अस्थायी दुकानदारों, रिक्शा-ठेला चालकों और राह चलते सामान्य लोगों और अन्य स्थायी दुकानदारों से भी बातचीत की, सभी ने एक स्वर में ये स्वीकार किया कि पहले की तरह अब डर का माहौल नहीं है. लोग बिना झिझक घरों से बाहर आना-जाना कर रहे हैं.

पटरी पर लौट रही जिंदगी

खासकर कमाई करने वाले अब कोरोना को लेकर कम चिंतित और कमाई की फिक्र ज्यादा कर रहे हैं. कोरोना के डर के कारण लोगों के कम घर से निकलने की वजह से व्यवसायियों की कमाई भी प्रभावित थी, लेकिन अब जब से मार्केट गुलजार होना शुरू हुए हैं, दुकानदारों का बिजनेस भी काफी हद तक ठीक चल रहा है.

पटरी पर लौट रही जिंदगी

पार्क भी खुलने को तैयार

ETV भारत की टीम शहर के सबसे बड़े विवेकानंद पार्क पहुंची. पार्क के कर्ताधर्ता भी अब खुश नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि हमने पार्क को आमलोगों के लिए पूरी तरह से सजा दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार से आदेश मिलते ही पार्क खोल दिए जाएंगे.

पार्क खुलने को तैयार

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मनोचिकित्सकों की राय

मनोचिकित्सकों का कहना है कि लोगों में धीरे-धीरे कोरोना को लेकर डर की भावना खत्म होती जा रही है. इसके पीछे मनोचिकित्सक दो कारणों को प्रमुख मानते हैं. विशेषज्ञ बताते हैं कि जो पहला कारण है वो है आजीविका और दूसरा कारण है लोगों में एक मनोवैज्ञानिक बदलाव. लोगों का मानना है कि जो भी होगा अब देखा जाएगा. लोग लंबे समय तक घरों में कैद रहे, उनके अंदर एक थकान सी आ गई, इसलिए अब जब अनलॉक की प्रक्रिया से देश गुजर रहा है, तो लोग घरों से बाहर निकलने लगे हैं. हालांकि विशेषज्ञ चिकित्सक अभी भी लोगों को विशेष एहतियात बरतने की सलाह दे रहे हैं. उनका कहना है कि भले ही अनलॉक की प्रक्रिया क्यों ना शुरू हो गई हो, लेकिन फिजिकल डिस्टेंसिंग के अलावा मास्क के इस्तेमाल, सैनिटाइजेशन जैसी जरूरी गतिविधियों से लोगों को दूर नहीं होना चाहिए.

कोरोना नहीं अब भूखे रहने से लगता है डर

अब जिंदगी चलाने की जंग

वहीं लॉकडाउन के दौरान घर लौटे मजदूर भी अब अपनी आजीविका चलाने वापस बड़े शहरों का रुख कर रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक जिले में 1 लाख 17 हजार 537 मजदूरों की कोरोना के कारण घर वापसी हुई थी. सरकारी आंकड़ों के मुतबिक, जिले में इस बीच 10 हजार मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दिया गया. अब हालात ऐसे हैं कि दिल्ली समेत अन्य महानगरों की ओर जानेवाली ट्रेनों में मजदूरों की संख्या ज्यादा दिखने लगी है. यानी प्रवासी मजदूर दोबारा पलायन कर रहे हैं.

अनलॉक में अब हर क्षेत्र को खोलने की प्रक्रिया चल रही है, जाहिर है इससे ये बात तो साफ हो गई है कि लोगों को कोरोना के साथ ही जीने की आदत डालनी होगी. ये चीज अब देखने को भी मिल रही है, लेकिन इसके साथ ही ये भी समझने की जरूरत है कि लोग एहतियात के साथ जिंदगी में आगे बढ़ते चलें. कम से कम तब तक जब तक कोरोना की कोई प्रमाणिक दवा या वैक्सीन हमारे बीच न आ जाए.

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