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SPECIAL : शेल्टर होम में नहीं मिली जगह, आसमान-जमीन के बीच बना लिया 'आशियाना' - Bilaspur shelter home condition

रहने को घर नहीं, सोने को बिस्तर नहीं, अपना तो खुदा है रखवाला. यह बेबसी बेघरों की है, जो शेल्टर होम नहीं सड़कों पर रहने को मजबूर हैं . ETV भारत की टीम ने जब शेल्टर होम का जायजा लिया, जो तस्वीर सामने आई, वो शासन-प्रशासन पर सवालिया निशाना खड़े कर रही है.

Shelter Home
बेघरों की बेबसी

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Published : Sep 18, 2020, 4:29 PM IST

Updated : Sep 19, 2020, 12:11 PM IST

बिलासपुर : कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे के बीच शासन-प्रशासन सभी लोगों से ज्यादा-ज्यादा घर पर रहने की अपील कर रहा है. बेवजह घर से बाहर निकलने पर भी मनाही की जा रही है. लेकिन इन सबके बीच सड़क पर रह रहे बेघर लोगों का क्या, जिनका 'आसरा' ही सड़क हो, आसमान ही उनकी 'छत' हो, सर्द हवाएं उनकी 'चादर' हों और वे बारिश में जीने को मजबूर हो. ऐसे गरीब तबके के लोगों की स्थिति को जानने के लिए ETV भारत की टीम ने शेल्टर होम का जायजा लिया.

शेल्टर होम में नहीं बाहर रहने को मजबूर

कहने को बिलासपुर संस्कारधानी है, लेकिन शहर में शायद ही कोई ऐसा कई कोना बचा है, जहां बिना घर परिवार के बेसहारा और बेबस लोगों की भीड़ न दिखती हो. शहर के पुराने बस स्टैंड, स्टेशन क्षेत्र के अलावा शहर के अन्य मुख्य मार्गों के किनारे गुजर-बसर करने वालों की स्थिति बेहद खराब है. ये लोग बीते कई महीनों से तंग हाल जिंदगी जी रहे हैं. गाड़ियां बंद होने के कारण वो अपने शहर लौट नहीं पाए और स्थिति इतनी खराब हो गई कि, वो शहर में ही औरों के रहमत के भरोसे जीने लगे. इनका हालचाल लेने के लिए न विधायक आए, न मंत्री और न ही शासन-प्रशासन का कोई नुमाइंदा. ये लोग समाजसेवी और लोगों की मदद से अपना गुजर-बसर कर रहे हैं. शहर में कहीं मुफ्त दाल-चावल का वितरण होता है, तो ये अपना पेट भर लेते हैं.

सड़क पर जिंदगी
आसमान के नीचे बसेरा

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'लोगों के भरोसे पेट पल रहा'

नैनीताल के रहने वाले जसराज सिंह पिछले कई दिनों से यहां फंसे हैं. इनका कहना है कि वो बीते 6 तारीख से शहर में ऐसे सड़क के किनारे जिंदगी गुजार रहे हैं, लेकिन उनकी मजबूरी को सुनने वाला अब तक कोई नहीं आया. वो राह चलते लोगों के रहमोकरम पर फिलहाल समय काट रहे हैं. बेसहारा लोगों का कहना है कि वो स्टेशन के समीप फिलहाल तिरपाल लगाकर अपने दो बच्चों के साथ जैसे-तैसे जिंदगी गुजार रहे हैं. रात में बारिश होती है तो पूरी-पूरी रात वो जगे रह जाते हैं. वो पहले मजदूरी करके अपना और परिवार का पेट पालते थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण ये यहीं फंसे हुए हैं.

अपने घर जाने का इंतजार


एक तस्वीर हजार शब्द के बराबर

शहर में कुल 3 शेल्टर होम हैं, जिनमें से दो में ताले जड़े हैं, एक शेल्टर होम खुला भी है तो वहां रहने के लिए बने नियम कानून बेसहारों के लिए सहारा नहीं बन रहा है. बेसहारा लोग मजबूरन शेल्टर होम के बाहर रहने को मजबूर हैं. शेल्टर होम के कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना टेस्टिंग प्रक्रिया की जटिलता के कारण शेल्टर होम अभी खाली है. शुरुआती कोरोना काल में भी हमनेऐसी तस्वीरों को आपको दिखाया था, लेकिन महीनों गुजरने के बाद भी जिम्मेदारों की संवेदनशीलता शायद जागी नहीं और आज बेबस लोगों की तस्वीरें हजार शब्दों के बराबर है.

बेघरों की बेबसी
Last Updated : Sep 19, 2020, 12:11 PM IST

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