बिलासपुर : बिलासपुर नगर निगम को स्मार्ट सिटी का दर्जा प्राप्त है. यहां स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत काम किया जा रहा है. लेकिन स्मार्ट सिटी लिमिटेड बिलासपुर के लोगों के साथ भेदभाव कर विकास कर रहा है. दरअसल, अरपा नदी के इस पार बसे शहर में स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट के तहत विकास और सौंदर्यीकरण का काम तेजी से हो रहा है. वहीं नदी के उस पार सरकंडा (bilaspur Sarkanda not included in Smart City) इलाके में रहने वाले लोग विकास से कोसों दूर हैं.
अरपा नदी के दूसरी तरफ के साथ सौतेला व्यवहार
बिलासपुर नगर निगम 70 वार्ड का निगम क्षेत्र है. यहां की कुल आबादी 5,64,000 है. बिलासपुर शहर के बीचोंबीच अरपा नदी बहती है. नदी के कारण शहर दो भागों में बंटा हुआ है. एक तरफ 48 वार्ड और दूसरी तरफ कुल 22 वार्ड हैं. बिलासपुर नगर निगम को स्मार्ट सिटी का दर्जा प्राप्त है. इसके लिए स्मार्ट सिटी लिमिटेड कई विकास और सौंदर्यीकरण का कार्य कर रही है. लेकिन स्मार्ट सिटी लिमिटेड बिलासपुर नगर निगम के वार्डों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है. यह हम नहीं बल्कि यहां की वस्तु स्थिति कह रही है.
अफसरों का तर्क-केंद्र से अनुमति लेकर हो रहा काम...
अरपा नदी के एक तरफ के हिस्से को प्रोजेक्ट में शामिल कर वहां विकास की बयार बहाई जा रही है. वहीं दूसरी तरफ विकास के नाम पर कुछ भी नहीं है. जबकि अरपा नदी के दूसरी तरफ को स्मार्ट सिटी के दायरे में शामिल करने की लगातार मांग उठ रही है. फिर भी जनप्रतिनिधि और बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अफसर इसकी अनदेखी कर रहे हैं. अरपा नदी के इस तरफ के जिन वार्डों को एडीबी एरिया में शामिल नहीं किया था, वहां स्मार्ट सिटी के तहत काम शुरू कर दिया गया है. इस मामले में स्मार्ट सिटी के अफसरों का तर्क है कि केंद्र से अनुमति लेकर काम किया जा रहा है.
अफसर कर रहे सौतेला व्यवहार
स्मार्ट सिटी का दायरा 1041 एकड़ का है. इस लिहाज से शहर के 14 वार्डों में कुछ का 100 फीसदी तो कुछ का 80 फीसदी हिस्सा इसमें शामिल किया गया है. लेकिन अरपा नदी के पार सरकंडा क्षेत्र में करीब 22 वार्ड हैं. इन 22 वार्डों में से एक भी वार्ड को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल नहीं किया गया है. आखिर नगर निगम के जनप्रतिनिधि और स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अफसर क्यों अरपा नदी के उस पार के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे हैं. यह सवाल वहां के लोग बार-बार पूछ रहे हैं.
अधिकारी कर रहे टालमटोल
स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अधिकारियों के सौतेले व्यवहार से सरकंडा का इलाका विकास और सौंदर्यीकरण के अभाव में ऐसा प्रतीत होता है. जैसे एक चेहरे के आधे हिस्से में खूबसूरती और दूसरे आधे हिस्से को बदसूरत कर दिया गया हो.अरपा के सरकंडा के इलाकों को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल नहीं करने के सवाल पर अधिकारी गोलमोल जवाब देकर अपना कॉलर बचा लेते हैं.