No Road No Vote In CG Election :रोड नहीं तो वोट नहीं पर अड़े ग्रामीण, कांग्रेस हो या बीजेपी नहीं मिली समस्याओं से मुक्ति - अटल बिहारी बाजपेयी
No Road No Vote In CG Election चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियां वोटर्स को अपने पक्ष में करने के लिए कई तरह के वादे करती हैं. राजनीतिक दलों से जुड़े प्रत्याशी स्थानीय मुद्दों को सामने रखकर जनता से वोट मांगते हैं.कई वादे तो पूरे होते हैं,लेकिन कई बार सालों पुरानी समस्या का समाधान भी नेता नहीं कर पाते.जिसके बाद वोटर्स खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं.ऐसे ही एक विधानसभा में ग्रामीण राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ लामबंद हो गए हैं.ग्रामीणों ने वोट नहीं डालने का ऐलान कर दिया है.Chhattisgarh Assembly Election 2023
बिलासपुर :चुनावी माहौल में ईटीवी भारत विधानसभा का हाल जनता के बीच ला रहा है. इसी कड़ी में ईटीवी भारत की टीम मस्तूरी विधानसभा का हाल जानने पहुंची. जब हमारी टीम विधानसभा का दौरा कर रही थी.तो ऐसे गांव में पहुंची जहां के लोगों ने मतदान करने से मना कर दिया है.आपको बता दें कि इस विधानसभा में कांग्रेस की लहर के बाद भी बीजेपी का कब्जा हुआ था. बावजूद इसके गांव में पिछले कई सालों से बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.जिसे लेकर ग्रामीणों ने चुनाव में मतदान नहीं करने की बात की है. ग्रामीणों ने विरोध स्वरूप इस बार मतदान में हिस्सा नहीं लेने का ऐलान किया है. ईटीवी भारत को जब इस बात की जानकारी हुई तो वो गांव में पहुंची.इस दौरान ग्रामीणों को मतदान के लिए प्रेरित किया.बावजूद इसके ग्रामीणों ने अपनी व्यथा बताते हुए फैसला नहीं बदलने की बात कही है.
कहां पर हो रहा मतदान का विरोध :जिस जगह की हम बात कर रहे हैं उसे मानिकपुर गांव कहते हैं.स्थानीय लोग इसे खोंदरा से जौंधरा तक कहते हैं. क्योंकि 120 किमी का दायरा मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र में आता है. पिछले बीते कार्यकाल में यहां से बीजेपी शासनकाल में स्वास्थ्य मंत्री रहे कृष्णमूर्ति बांधी ने जीत हासिल की थी.पिछले विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी का किला धाराशाई हुई,तो मस्तूरी की मीनार डॉ कृष्णमूर्ति बांधी ने बचा ली.बावजूद इसके मानिकपुर गांव के बाशिंदों की मांगों को आज तक पूरा नहीं किया जा सका.
अटल बिहारी बाजपेयी के कार्यकाल में बनीं थी रोड :मानिकपुर गांव के लोगों ने इस बार मतदान में हिस्सा नहीं लेने का मन बना लिया है. इस गांव में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के शासन के दौरान आखिरी बार सड़क बनीं थी.इसके बाद जो सड़क टूटी आज तक नहीं बनीं.रोड के साथ-साथ नाली और दूसरे गांवों तक जाने वाली सड़क भी खस्ताहाल है.बारिश के दिनों में गांव के लिए ब्लॉक मुख्यालय तक पहुंचना दूभर हो जाता है. रोड के लिए कई बार स्थानीय लोगों ने चक्काजाम,धरना प्रदर्शन और कलेक्टोरेट घेराव किया.बावजूद इसके समस्या का समाधान नहीं हुआ.
स्थानीय विधायक रह चुके हैं स्वास्थ्य मंत्री :इस विधानसभा के विधायक बीजेपी के शासन काल में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं.लेकिन ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए शहर का मुंह ताकना पड़ता है. आपको बता दें कि मस्तूरी विधानसभा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित सीट है. इस सीट पर 2003 और 2008 के चुनाव में बीजेपी ने डॉ.कृष्णमूर्ति बांधी को प्रत्याशी बनाया. 2013 के चुनाव में मस्तूरी विधानसभा सीट पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस से लोक कलाकार दिलीप लहरिया चुनाव जीते. लेकिन कांग्रेस को ये सीट मिलने के बाद भी मस्तूरी क्षेत्र की जनता को समस्याओं से छुटकारा नहीं मिला. 2018 में बीजेपी के डॉ कृष्णमूर्ति बांधी कांग्रेस के प्रत्याशी दिलीप लहरिया को हराकर फिर विधानसभा पहुंचे. कृष्णमूर्ति बांधी 36.37 वोट प्रतिशत और सर्वाधिक 67950 मत के साथ विधायक चुने गए थे.
मस्तूरी विधानसभा की स्थिति :मस्तूरी विधानसभा में मतदाताओं की संख्या 305001 है.जिसमें पुरुष मतदाता 154327 और महिला मतदाताओं की संख्या 150660 है. इस सीट पर एससी की आबादी 70 फीसदी है. यहां एसटी न के बराबर हैं.ओबीसी 20 फीसदी और जनरल 10 फीसदी हैं. इस क्षेत्र में एनटीपीसी है. बावजूद इस विधानसभा क्षेत्र में रोजगार की काफी समस्या है. ना ही बड़ी फैक्ट्री है और ना ही रोजगार के संसाधन लिहाजा बड़ी आबादी पलायन कर लेती है.