गौरेला-पेंड्रा-मरवाही-: मरवाही उपचुनाव का चुनावी शोर आज थम जाएगा. 3 नवंबर को मरवाही सीट पर मतदान होगा. अजीत जोगी के निधन के बाद एक बार फिर मरवाही विधानसभा में उपचुनाव होने जा रहा है.
मरवाही सीट राजनीतिक दृष्टिकोण से एक बेहद महत्वपूर्ण और दिलचस्प सीट मानी जाती है. जोगी परिवार का अहम गढ़ माने जाने वाली इस सीट से जोगी परिवार का पुराना नाता है. पिछले 20 सालों से ये सीट जोगी परिवार की परंपरागत मानी जाती है. अजीत जोगी 2001 के उपचुनाव इसी सीट से जीतकर छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया था. लेकिन इस बार के चुनावी मैदान में जोगी परिवार बाहर है. अमित जोगी और उनकी धर्मपत्नी ऋचा जोगी के जाति प्रमाण पत्र निरस्त होने के बाद उनका नामांकन पत्र भी निरस्त कर दिया गया. अमित जोगी ने बीजेपी प्रत्याशी को अपना समर्थन दे दिया है. जिसके चलते चुनाव मुकाबला रोचक हो गया है.
2018 का चुनाव
2018 के विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी रिकार्ड मतों से जीत हासिल कर विधायक चुने गए. आंकड़ों की बात करें तो इस चुनाव में अजीत जोगी को जहां 74 हजार 41 वोट मिले थे. तो वहीं बीजेपी उम्मीदवार अर्चना पोर्ते को 27 हजार 579 मत मिले. इधर कांग्रेस के गुलाब सिंह राज 20 हजार 40 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे.
2013 का चुनाव
मरवाही विधानसभा सीट पर 2013 में 11 उम्मीदवार मैदान में थे. कांग्रेस से अमित जोगी ने पिता की विरासत को बचाने में ही नहीं, बल्कि रिकॉर्ड मतों से जीतने में कामयाब रहे. अमित जोगी को 82 हजार 909 वोट मिले थे. जबकि बीजेपी उम्मीदवार समीरा पैकरा को 36 हजार 659 वोट मिले थे. बाकी उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा सके थे. 2008 विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में कांग्रेस के अजीत जोगी को 67 हजार 523 वोट मिले थे. वहीं बीजेपी के ध्यानसिंह पोर्ते को 25 हजार 431 वोट मिले थे. 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अजीत जोगी को 76 हजार 269 वोट मिले थे. वहीं बीजेपी के नंद कुमार साय को 22 हजार 119 को वोट मिले थे.
मरवाही सीट की कहानी दिलचस्प