गौरेला पेंड्रा मरवाही: पूरे छत्तीसगढ़ में हमर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है. इस दौरान गौरेला पेंड्रा मरवाही में हमर तिरंगा कार्यक्रम के दौरान शहीद शिवनारायण बघेल को याद किया गया. साथ ही उनके परिवार को सम्मानित किया गया.
परिजनों को किया गया सम्मानित: बता दें कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ के शहीद जवानों को नमन कर पूरे छत्तीसगढ़ में शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया गया है. इस दौरान गौरेला पेंड्रा मरवाही में भी शहीद प्रधान आरक्षक शिवनारायण बघेल के शहादत को याद करते हुए उनके बेटे कौशलेंद्र सिंह बघेल और बहू की उपस्थिति में पुलिस नियंत्रण कक्ष जिला गौपेम में हमर तिरंगा कार्यक्रम का आयोजन कर उन्हें सम्मानित किया गया.
दी गई श्रद्धांजलि: इस दौरान पुलिस अधीक्षक आई कल्याण एलिसेला ने शहीद शिवनारायण बघेल के शहादत को नमन करते हुए अपने पूर्व तैनाती स्थल बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर जिले के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि एक 58 वर्षीय पुलिस का जवान जब ऐसे मौकों पर मुठभेड़ पर यदि 27 गोली खा रहा है तो निश्चित ही वे उस टीम को लीड कर रहे होंगे और इन गोलियों को अपने सीने में खेलकर अपने पीछे कम से कम 20 जवानों को शहीद होने से बचाया होगा. पुलिस अधीक्षक एलिसेला ने देश और राज्य की सुरक्षा के लिए शहीद हुए शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश और राज्य की सुरक्षा के लिए उनकी शहादत, सर्वोच्च बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा.
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शिवनारायण बघेल ने यूं किया नक्सलियों का सामना:शहीद शिवनारायण बघेल का जन्म 10 अगस्त 1949 में सतना मध्य प्रदेश के ग्राम जनार्दन पुर में हुआ था. बाल्यकाल से लेकर इंटर तक की उनकी पढ़ाई ग्राम छिबौरा जिला सतना मध्यप्रदेश में हुई. दिनांक 28 जनवरी 1971 में अविभाजित मध्य प्रदेश में SAF चौथी बटालियन माना रायपुर में आरक्षक के पद पर उनकी प्रथम नियुक्ति हुई थी. छत्तीसगढ़ विभाजन के उपरांत उन्होंने छत्तीसगढ़ में ही सेवाएं देने का निश्चय किया. उन्होंने राज्य के विभिन्न जिलों में कार्य किया. साल 2007 में जब आप नारायणपुर जिले में सीएएफ में प्रधान आरक्षक के पद पर पदस्थ होकर कार्यरत थे. उसी दौरान दिनांक 16 जनवरी 2007 को छोटे डोंगर थाना क्षेत्र में नक्सलियों ने 6 व्यक्तियों की निर्मम हत्या कर दी थी. जिसकी सूचना मिलने पर शहीद बघेल अपने साथियों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे ही थे कि नक्सलियों ने घेराबंदी कर फायरिंग करना शुरू कर दिया. शहीद बघेल ने अपने साथियों को हौसला अफजाई करते हुए खुद 27 गोली खाकर नक्सलियों का डटकर मुकाबला किया और शहीद हो गए.