बिलासपुर: सहकारी समितियां अब तक किसानों को ऋण मुक्ति का प्रमाण पत्र तक नहीं दे पाई हैं. पेंड्रा रोड अनु विभाग में आने वाले हजारों किसानों से सहकारी बैंकों को 10 करोड़ से अधिक की रकम वसूलना बाकी है, लेकिन अब तक शासन से रकम नहीं मिलने की वजह से किसानों का कर्ज माफ नहीं हो सका.
एक ओर जहां सरकार कर्ज माफी को लेकर चारों ओर अपनी तारीफ कर रही है, वहीं दूसरी ओर कर्ज माफ नहीं होने से किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
चुनाव घोषणा पत्र में किए थे वादा
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस ने चुनावी घोषणा पत्र में किसानों के के सभी अल्पकालीन कृषि ऋण माफ करने का वादा किया था. इसमें सहकारी बैंकों, सहकारी समितियों के साथ ही राष्ट्रीय कृतबैंक भी शामिल थे. हालांकि अब भी सरकार कृषि ऋण माफ करने की बात कह रही है पर जमीनी हकीकत इससे ठीक उलट है. बड़े राष्ट्रीय कृत बैंकों से लिए गए केसीसी और कृषि ऋण माफ होना तो अभी दूर की कौड़ी ही नजर आ रही है.
अधिकारी करते हैं कर्ज वापस करने की बात
जिला सहकारी बैंक और आदिम जाति सेवा सहकारी और सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों की ओर से अल्पकालीन कृषि ऋण भी पूरी तरह माफ नहीं हो सके. किसानों का कहना है कि 'चुनाव के समय सरकार ने बिजली बिल और कर्ज माफ करने का वादा किया था, पर अब तक कर्ज माफ नहीं हो सका है और जिसकी वजह से उन्हें खाद बीज लेने में भी दिक्कतें आ रही हैं. इसके हाथ ही बैंक अधिकारी भी समय-समय पर कर्ज वापस करने की बात कहते हैं.
घोषणा पत्र में किए थे ये वादे
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के वक्त जो घोषणा पत्र तैयार किया था, उसमें बिजली बिल हाफ, कृषि ऋण माफ सहित कई लोकलुभावन वादे किए गए थे. जनता ने भी कांग्रेस के घोषणापत्र पर विश्वास करते हुए उन्हें 65 सीटों के साथ बंपर बहुमत दिया, लेकिन सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार अब तक सहकारी बैंकों और समितियों से लिए गए अल्पकालीन कृषि कर्ज को पूरी तरह से माफ नहीं कर सकी.