नए साल 2024 से पहले बिलासपुर में फूटा कुपोषण बम, खतरे में कई जिंदगियां - नए साल 2024
Malnourished children increased in Bilaspur कुपोषण मुक्त भारत को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के दावों की पोल छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में खुल गई है. बिलासपुर में कुपोषण के आंकड़े इन योजनाओं की सच्चाई बयां कर रहे हैं. बिलासपुर जिले में लगातार कुपोषित बच्चों संख्या बढ़ रही है. जिला कुपोषण केंद्र में अब तक 34 कुपोषित इलाज कराने पहुंच चुके है. जिसकी वजह से अस्पताल में अब दूसरों के लिए जगह नहीं बची है. Bilaspur News
बिलासपुर: प्रदेश सहित देशभर में कुपोषण को लेकर राज्य और केंद्र सरकार भारी भरकम बजट वितरित करती है. कुपोषण को खत्म करने के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. इन कार्यक्रमों के तहत जिले में मितानिन और अन्य माध्यमों से कुपोषितों की पहचान कर उनका इलाज किया जाता है. लेकिन बिलासपुर में मिल रहे कुपोषित बच्चों के आंकड़ों से पता चलता है कि ये सारे कार्यक्रम केवल कागजों तक सीमित हैं.
बिलासपुर में लगातार सामने आ रहे मामले: बिलासपुर जिले में लगातार कुपोषित बच्चों की पहचान हो रही है. अचानक कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ने लगी है. जिला कुपोषण केंद्र में बच्चों की संख्या बढ़ने से अब दूसरों के लिए जगह नहीं बची है. जिससे अन्य बच्चों को दूसरे माह इलाज कराने आने के लिए उनके घर भेजा जा रहा है. बिलासपुर जिला अस्पताल से मिले आंकड़ों के मुताबिक, जिला कुपोषण केंद्र में अब तक 34 कुपोषित इलाज कराने पहुंच चुके हैं. इन बच्चों को एडमिट कर उनका इलाज किया जा रहा है.
पोषण पुनर्वास केंद्र में बढ़ रही वेटिंग लिस्ट: बिलासपुर जिला अस्पताल में इलाज कराने अब तक 34 कुपोषित बच्चे पहुंच चुके हैं, लेकिन इनका इलाज करने अस्पताल में बेड नहीं है. जिला कुपोषण केंद्र में वैसे तो 16 बिस्तर है, जिसमें से 10 में बच्चों का इलाज किया जाता है और दो बिस्तर खाली रखा जाता है. इसके अलावा 4 बिस्तर इमरजेंसी के लिए होता है. इधर जगह नहीं होने की वजह से पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चों की वेटिंग लिस्ट 24 तक पहुंच गई है. कुपोषित बच्चों को इलाज के लिए एक महीने का इंतजार करना पड़ रहा है. कई मासूम बच्चों का तो 1 महीने बाद इलाज शुरू होगा.
स्वास्थ्य विभाग की कार्य प्रणाली पर उठे सवाल: बिलासपुर के मातृ शिशु अस्पताल में कुपोषित बच्चों का इलाज करने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र बनाया गया है. इस केंद्र में 10 बिस्तरों की व्यवस्था किया गया है. हमेशा खाली रहने वाला यह पोषण केंद्र अचानक कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ने की वजह से भर गया है. जिले में अब तक कुपोषण की स्थिति शून्य बताई जा रही थी, लेकिन अचानक इतनी बड़ी संख्या में कुपोषित बच्चों की पहचान होने से मामला गंभीर हो गया है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की कार्य प्रणाली पर अब सवालिया निशान उठने लगे हैं.
अधिकारी जवाब देने को तैयार नहीं:बिलासपुर जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या अचानक बढ़ने से स्वास्थ्य विभाग सकते में है. पिछले महीने दीपावली के दौरान ही स्वास्थ्य विभाग ने कुपोषितों की संख्या शून्य होने का दावा किया था. साथ ही जिला कलेक्टर को इसकी जानकारी भी भेजी गई थी. लेकिन अचानक ही 34 बच्चों की पहचान होने की वजह से जिले के जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधकर बैठे हैं. यह संख्या केवल जिला पुनर्वास केंद्र की है. लेकिन यदि छोटे अस्पतालों, पीएचसी और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की आंकड़ों की अगर बात करे, तो यह संख्या लगभग 100 तक पहुंच सकती है. ऐसे में कुपोषण मुक्त भारत अभियान के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों की असल हकीकत सामने आ रही है.