बिलासपुर: अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी अपने अनोखे तरीके के लिए सुर्खियां बटोर रहे हैं. कुलपति साहब कुर्सी छोड़ तख्त पर बैठकर यूनिवर्सिटी का कामकाज कर रहे हैं. उनको तख्त पर बैठ कर काम करता देख लोग हैरान हो जाते हैं. कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपने चेंबर के गेट पर नीम के पत्ते रखवा दिए थे. कोई भी उनसे मिलने आता था तो नीम की पत्तियां खिलाई जाती थी. स्वाद आता था तो विजिटर्स को एंट्री मिलती थी वरना नहीं.
26 सालों से तख्त पर ही कर रहे काम
आचार्य वाजपेयी ने बताया कि वे 26 सालों से तख्त पर ही बैठकर काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि गुरुकुल परंपरा में इस तरह के नियमों का पालन किया जाता था, जिसे वे अब भी निभा रहे हैं. कुलपति अभी भी कलम-दवात का उपयोग लिखने में करते हैं. हालांकि सरकारी कामकाज में साइन करने के लिए पेन का ही उपयोग करते हैं. उन्होंने बताया कि तख्त पर बैठने से रीढ़ की हड्डी में समस्या नहीं होती है. साथ ही शरीर का ब्लड सर्कुलेशन भी सही रहता है.
कुलपति बनते ही बदले रिवाज
राज्यपाल अनुसुइया उइके ने 22 फरवरी को प्रोफेसर आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी को कुलपति बनाया था. कुलपति बनने के पश्चात जब वे यूनिवर्सिटी पहुंचे तो सबसे पहले उन्होंने गेट पर ही अपनी शॉल बिछाई और हवन-पूजन किया. इसके बाद कक्ष में पहुंचते ही उन्होंने कुर्सी हटवाने और लकड़ी का तख्त लगवाने को कहा था, ताकि वह उसमें बैठकर विश्वविद्यालय के कार्य कर सकें.
एयू के कुलपति आचार्य वाजपेयी अर्थशास्त्री और कवि भी हैं. इसके अलावा इनकी किताबें अरुण सतसई-2014, रंग और पंकज के शिष्य प्रकाशित हुई हैं. बता दें भारत सरकार द्वारा गठित महात्मा गांधी के 150वीं जन्म उत्सव समिति के सदस्य भी हैं. एयू के कुलपति के अलावा इनके पास अन्य प्रभार भी हैं. इसमें गृह मंत्रालय, भारत सरकार की सांप्रदायिक सद्भाव राष्ट्रीय प्रतिष्ठान के संचालक मंडल में सदस्य, भाषा विशेषज्ञ समिति संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार में सदस्य, टास्क फोर्स कमेटी, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, मध्य प्रदेश शासन में सदस्य, राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद नई दिल्ली के अध्यक्ष हैं.
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