बिलासपुर:कानन पेंडारी जूलॉजिकल पार्क में जंगली जानवरों की मौत का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. कभी आपसी संघर्ष में शेरों की मौत हो जाती है, तो कभी बीमारियों से भालू और अन्य जानवरों की मौत हो जाती है. रेस्क्यू कर लाए गए जंगली जानवरों को भी बचा पाने में कानन पेंडारी असफल ही साबित होता है. पिछले दिनों कानन पेंडारी जूलॉजिकल पार्क के करीब बिनोरी ग्राम में तेंदुआ के देखे जाने के बाद वन विभाग रेस्क्यू कर तेंदुआ को पकड़ा था.
वन विभाग ने काफी मशक्कत की थी, तब कहीं जाकर तेंदुआ जाली में फंसा था और इस दौरान तेंदुए को जख्म भी लगा था. हालांकि उस समय वन विभाग ने जानकारी दी थी की शिकार करने के लिए शिकारी फंदा फंसाए थे और वही फंदा तेंदुए के शरीर में मिला था, जिससे उसे जख्म हो गया था. लेकिन तेंदुए की रविवार सुबह पांच बजे मौत हो गई.
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जख्म में कीड़े लग गए थे:कानन पेंडारी जूलॉजिकल पार्क में रविवार सुबह हुई तेंदुए की मौत ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर रेस्क्यू किए गए जानवर को कानन प्रबंधन बचा क्यों नहीं पाता है. ग्राम बिनोरी से लाए गए तेंदुए के जख्मी हालत में कानन पहुंचने और मौत के मामले में कानन प्रबंधन के अधिकारी विष्णु राज नायर ने बताया कि "रेस्क्यू के दौरान या पहले से ही तेंदुए के शरीर में जख्म था. इसकी जानकारी तो उन्हें नहीं है, लेकिन जब तेंदुआ कानन लाया गया था तो काफी जख्मी था और उसके जख्मों में कीड़े लगे हुए थे, कीड़े को साफ कर इलाज किया जा रहा था. साथ ही जख्म में फंदा भी फंसा हुआ था. लगातार तेंदुआ का इलाज किया गया लेकिन रविवार सुबह उसकी मौत हो गई. तेंदुआ लगभग 5 दिनों से खाना भी नहीं खाया था और उसके पूरे शरीर में इंफेक्शन फैल गया था जिसकी वजह से उसकी मौत हुई है."
रेस्कयू से पहले ही लगे थे जख्म:बिलासपुर वन मंडल के वन मंडल अधिकारी कुमार निशांत ने तेंदुए की मौत होने की बात कहते हुए बताया कि "जब उनकी टीम में तेंदुए का रेस्क्यू किया तो पहले से ही तेंदुए को जख्म लगा हुआ था. फंदा भी फंसा हुआ था. यह बात भी सामने आ रही है कि शिकारियों के लगाए गए फंदे की वजह से तेंदुआ को जख्म लगा था." जिले में बढ़ते शिकार को रोक पाने में वन विभाग नाकाम साबित हो रहा है और तेंदुए की मौत ने इस बात को साबित कर दिया है.