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वकीलों ने की हाईकोर्ट में रोजाना सुनवाई करने की मांग - बिलासपुर

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सीके केशरवानी और डेली प्रैक्टिसिंग एडवोकेट बार एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष आरके केशरवानी ने शासन से हाईकोर्ट में डेली मामलों की सुनवाई करने की मांग की है. हाईकोर्ट बंद रहने से वकीलों के पास आने वाले मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है. साथ ही वकीलों को फीस न मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है.

Demand for daily hearing in High Court
हाईकोर्ट में रोजाना सुनवाई की मांग

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Published : May 5, 2020, 6:47 PM IST

बिलासपुर: लॉकडाउन फेस 3 के दौरान छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में मामलों की सुनवाई करने की मांग की जा रही है. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सीके केशरवानी और डेली प्रैक्टिसिंग एडवोकेट बार एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष आरके केशरवानी ने मांग की है कि हाईकोर्ट में सोशल डिस्टेंस मेंटेन करते हुए रोजाना कम से कम एक या दो बेंच लगाकर मामलों की सुनवाई की जानी चाहिए.

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और बार एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष ने कहा है कि, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का भवन एशिया का सबसे बड़ा हाईकोर्ट भवन है. 21 अप्रैल को सोशल डिस्टेंस मेंटेन करते हुए हाईकोर्ट की खुली अदालत में आसानी से मामलों की सुनवाई हुई. इसे देखते हुए हाईकोर्ट में मामलों की सुनवाई करने की मांग की गई है. लगातार हाईकोर्ट बंद रहने से वकीलों के पास आने वाले मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है. साथ ही मामलों की सुनवाई न होने से हाईकोर्ट में मामले पेंडिंग पड़े हैं. वकीलों को फीस न मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है.

हाईकोर्ट में सुनवाई करने की मांग

इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए और सोशल डिस्टेंस मेंटेन करते हुए प्रतिदिन हाईकोर्ट में एक या दो बेंच लगाए जाने की मांग की जा रही है. जिससे मामलों की सुनवाई होते रहे. इसके साथ ही अधिवक्ता अखिल मिश्रा ने कहा है कि निचली अदालतों में मामले पर तत्काल सुनवाई होना जरूरी हो गया है. निचली अदालतों के बंद होने से छोटे-मोटे मामलों में भी आरोपियों को सीधे जेल भेजा जा रहा हैं और उनकी जमानत भी नहीं हो पा रही है.

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वकीलों की बिगड़ रही आर्थिक स्थिति

लॉकडाउन होने से सरकारी और निजी दोनों काम बंद पड़े हैं. सरकारी कार्यालयों के साथ शासन को हाईकोर्ट और निचली अदालतों को खोलना चाहिए. जिससे बढ़ते पेंडिंग मामलों पर जल्द से जल्द सुनवाई की जा सके. साथ ही वकीलों की बिगड़ती आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सके. लॉकडाउन के कारण छोटे-मोटे मामलों के आरोपी जेल में फंसे हुए हैं.

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