बिलासपुर: भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सदस्य सरोज पांडेय के निर्वाचन को चुनौती देते हुए कांग्रेस के पूर्व विधायक लेखराम साहू (Former MLA Lekhram Sahu) ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस पर कोर्ट ने राज्यसभा सदस्य पांडेय के खिलाफ जांच के लिए सात बिंदु तय किए थे. इसके साथ ही पांडेय को दस्तावेज और गवाह को पेश करने के लिए तीन सप्ताह की मोहलत दी थी. दो साल बाद राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय ने बुधवार को गवाही की सूची कोर्ट में प्रस्तुत की. सुनवाई के दौरान सरोज पाण्डेय के वकील ने अपनी ओर से गवाहों की सूची प्रस्तुत की. मामले की अगली सुनवाई 18 जून को होगी.
दरअसल 2018 मार्च में हुये राज्यसभा चुनाव के समय भाजपा की सरोज पाण्डेय ने लेखराम साहू को हराया था. इसके खिलाफ साहू ने उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका प्रस्तुत कर इस निर्वाचन को चुनौती दी थी.
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गवाह की सूची नहीं देने पर हाईकोर्ट ने लगाई थी फटकार
यह चुनौती सरोज पाण्डेय की ओर से शपथ पत्र में गलत और अधूरी जानकारी देने के लिए लगाई गई थी. साथ ही 18 भाजपा विधायकों के लाभ के पद पर होने के बावजूद उन्हें प्रस्तावक समर्थक के रूप में स्वीकार करने और उन्हें मतदान की अनुमति दिये जाने को असंवैधानिक बताते हुये दायर की गई थी. पिछली सुनवाई के दौरान साहू के अधिवक्ता ने जस्टिस संजय के अग्रवाल को बताया था कि उनकी ओर से मामले में गवाहों की सूची पहले ही प्रस्तुत कर दी गई है. लेकिन सरोज पाण्डेय की ओर से देरी करने के लिए सूची प्रस्तुत नहीं की गई है. इस पर हाईकोर्ट ने आदेश पारित करते हुए कहा था कि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत चुनाव याचिकाओं का निराकरण छह माह में किया जाना आवश्यक है. यह याचिका दो साल से अधिक समय से लंबित है. लिहाजा इसमें विलंब नहीं किया जा सकता. हाईकोर्ट ने मामले में सरोज पाण्डेय के अधिवक्ता को गवाहों की सूची प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे.
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