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मजबूरी का पलायन! रोजगार की तलाश में मजदूरों का पलायन, 40 यात्रियों वाली बस में 150 मजदूर सवार - मजबूरी का पलायन

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भले ही भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ मॉडल की बात कर रहे हो लेकिन छत्तीसगढ़ में यह मॉडल कितना प्रभावी है, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेश से हर दिन हजारों मजदूर पलायन कर रहे हैं. ताकि उन्हें किसी दूसरे राज्य में रोजगार मिल सके.

laborers migrating from chhattisgarh
छत्तीसगढ़ से पलायन करते मजदूर

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Published : Dec 25, 2021, 3:25 PM IST

Updated : Dec 25, 2021, 5:07 PM IST

गौरेला पेंड्रा मरवाही: उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. जहां सभी पार्टियां जनता के बीच जाकर अपने वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस महिलाओं के लिए 40% टिकट देने की बात कह रही है. इसके साथ ही यूपी में छत्तीसगढ़ मॉडल का जिक्र किया जा रहा है. लेकिन छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी कितना चिंता का विषय है. इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि छत्तीसगढ़ से हजारों मजदूर रोजगार के लिए दूसके राज्यों में पलायन कर रहे हैं.

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कभी गुजरात के विकास मॉडल की चर्चा पूरे देश में हुआ करती थी. अब उत्तरप्रदेश का चुनाव है और छत्तीसगढ़ का मॉडल (Chhattisgarh Model) आदर्श के रूप में सूबे के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel), प्रियंका गांधी के साथ उत्तर प्रदेश की जनसभाओं में रख रहे हैं. इसे यूपी की जनता के सामने रखकर उत्तर प्रदेश का सियासी रण जीतने की कोशिश की जा रही है. दावा किया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी नहीं है लेकिन हकीकत इस दावे के बिल्कुल उलट है. पिछले दो रातों में छत्तीसगढ़ से उत्तर प्रदेश जाने वाली बसों की जो तस्वीर सामने आई है. वह राज्य सरकार के दावे के बिल्कुल विपरीत है.

40 सीटर बस में 150 यात्री

दुर्ग, रायपुर और बिलासपुर से उत्तर प्रदेश जा रही बस खचाखच यात्रियों से भरी है. इसमें बैठे सारे छत्तीसगढ़ के वो मजदूर हैं जो रोजगार की तलाश में उत्तर प्रदेश जा रहे हैं. लगभग 40 सीटर स्लीपर कोच बस में डेढ़ सौ से ज्यादा मजदूर सवार हैं. जिन्हें उत्तर प्रदेश में काम मिलने की उम्मीद है. ज्यादातर मजदूर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों जिसमें कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज शामिल है. ये ईट, भट्ठे में काम करने जा रहे है. यह मजदूर किसी एक जिले के नहीं है बल्कि छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार, जांजगीर- चांपा, बिलासपुर, कोरबा, मुंगेली जैसे जिलों से है. मजदूर अपने साथ अपने पूरे परिवार को लेकर जा रहे हैं.

चावल से नहीं भरता पेट, घर चलाने के लिए पैसे की जरूरत होती है: मजदूर

ये मजदूर वहां अब आषाढ़ माह तक मतलब मानसून आने के पूर्व तक उत्तर प्रदेश में ही रहेंगे. एक मजदूर ने बताया कि सरकार भले उन्हें सस्ते दर पर चावल उपलब्ध करा रही हो लेकिन उनका पेट सिर्फ चावल से नहीं भर सकता. इसके अलावा उन्हें घर चलाने के लिए भी रुपयों की जरूरत होती है.

मजबूरी का पलायन

मजदूरों ने बताया कि आखिर भूखे पेट कब तक गांव में रहते. पेट तो चलाना है. वहीं ये बसे दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर से पेंड्रा मरवाही के रास्ते हर रोज इसी तरह मजदूरों को लेकर उत्तर प्रदेश जाती है. इन बसों में क्षमता से 3 गुना तक सवारी भरी होती है. 1-1 स्लीपर सीट में कम से कम 5 मजदूर सवार हैं. उसके बाद आने जाने के रास्ते पर मजदूर बैठे हुए हैं.

Last Updated : Dec 25, 2021, 5:07 PM IST

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