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बिलासपुर: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम, कोरोना के चलते नहीं फोड़ी जाएगी दही हांडी

छत्तीसगढ़ के कई मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मंगलवार और बुधवार यानि 11 और 12 अगस्त को मनाई जाएगी. हालांकि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मटका नहीं फोड़ा जाएगा और न ही रैली निकाली जाएगी. इन गतिविधियों पर प्रशासन की पैनी नजर रहेगी.

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Published : Aug 11, 2020, 12:53 PM IST

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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम

बिलासपुर:भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भादो महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी इस बार मंगलवार और बुधवार को मनाई जा रही है. प्रदेश के कई जिलों, शहरों में आज के दिन घर-घर भगवान कृष्ण विराजेंगे और कल शहर के अलग-अलग मंदिरों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को हर्षोल्लास से मनाया जाएगा. लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मटका फोड़ने की परंपरा नहीं निभाई जाएगा और न तो रैली ही निकाली जाएगी. इन गतिविधियों पर प्रशासन की पैनी नजर रहेगी.

कोरोना काल में भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम

पंडित दीपक मिश्रा ने बताया कि अष्टमी तिथि आज सुबह 9 बजकर 6 मिनट से लेकर बुधवार की सुबह 11.15 बजे तक रहेगी. पुजारी ने बताया कि इस दिन लोग व्रत कर सकते हैं. कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए कृष्ण मंदिर में सेवादार ही मौजूद रहेंगे. भक्तों के लिए बाहर से ही दर्शन करने की व्यवस्था की जाएगी. शहर में व्यंकटेश मंदिर, घोंघाबाबा मंदिर, खाटूश्याम मंदिर जैसे प्रमुख मंदिरों में इस बार सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर विशेष प्रशासनिक इंतजाम किए गए हैं.

पढ़ें-आज और कल मनाई जा रही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, जानिए व्रत का महत्व और पूजा की विधि


भगवान को भक्तों का भाव पंसद

पंडित मिश्ना ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण भक्तों के भाव के भूखे होते हैं, उन्हें सामग्रियों से ज्यादा भक्तों का भाव पसंद है. जरूरी नहीं कि भक्त 56 प्रकार के भोग ही लगाएं, महत्वपूर्ण यह है कि भक्त अपनी भक्ति से प्रभु को प्रसन्न करें. इसके लिए भगवान के नाम का पाठ बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. सच्ची श्रद्धा से जो कुछ भी मांगा जाता है, भगवान श्रीकृष्ण उसे जरूर पूरा करते हैं.

कोरोना वायरस के कारण दही हांडी स्थगित

बिलासपुर शहर में बीते कई दशक से दही हांडी प्रतियोगिता और रैली निकालने की परंपरा को मनाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण इस परंपरा पर ब्रेक लग गया है.

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