गौरेला पेंड्रा मरवाही :सरकार गरीबों के लिए योजनाएं लाती है. लेकिन क्या ये योजनाएं गरीबों तक पहुंच रही हैं.इसकी मॉनिटरिंग गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में नहीं हो रही है. क्योंकि यहां आदिवासियों को मिलने वाला राशन कोई और ही डकार रहा है. विशेष जनजाति के बैगा आदिवासियों को दिए जाने वाले चने को लेकर बड़ा घपला सामने आया है. जिसमें बैगा बाहुल्य करंगरा और बांनघाट पीढ़ा गांव में नान की मनमानी देखी गई. इस गांव के हिस्से के चने को दूसरी ग्राम पंचायत धनौली के पीडीएस में डंप किया जा रहा है. पिछले दो माह से आदिवासियों को चना नहीं मिला. पूछे जाने पर सरकार की ओर से नहीं आने की बात कहकर सभी को लौटाया जा रहा है.लेकिन इनके हिस्से का चना कहीं और भर रहा है.
कैसे हो रही है गड़बड़ी :गौरेला विकासखंड में नागरिक आपूर्ति निगम, निगम के परिवहनकर्ता और राशन दुकानदारों के बीच सांठ-गांठ का खेल जारी है. सरकारी चने को सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों में खाली न करवाकर दूसरे क्षेत्र की दुकानों में खाली कराया जा रहा है. ताजा मामले में करंगरा और बानघाट-पीढ़ा ग्राम पंचायत के हिस्सा का 10 क्विंटल चना धनौली गांव की राशन दुकान में खाली कराया गया. धनौली से करंगरा गांव के राशन दुकान की दूरी 5 किलोमीटर है. जबकि धनौली के राशन दुकान से बानघाट पीढ़ा गांव की दूरी 30 किलोमीटर से अधिक है.ऐसे में कैसे कोई आदिवासी उपभोक्ता सिर्फ चने के लिए इस राशन दुकान की ओर रुख करेगा.