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इन होनहारों ने साइंस में सूबे को बनाया 'सरदार', छत्तीसगढ़ के इन अविष्कारों को मिली हरी झंडी - अटल कृषि मित्र

इरादे अगर बुलंद हों तो न परिस्थितियां कभी आड़े आती और न ही मुश्किलें कभी बाधा बनती हैं. बिलासपुर के गवर्नमेंट हॉयर सेकंडरी स्कूल के बाल वैज्ञानिकों ने अपने अथक परिश्रम से एक बार फिर से इसे साबित कर दिखाया है. इन बच्चों ने देशभर में छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है. इन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में भी सूबे को सरदार साबित किया है.

इन होनहारों ने साइंस में सूबे को बनाया 'सरदार

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Published : Sep 16, 2019, 4:29 PM IST

Updated : Sep 16, 2019, 7:43 PM IST

बिलासपुर: ETV भारत ने बीते दिनों आपको गवर्मेंट हॉयर सेकंडरी स्कूल के होनहार बाल वैज्ञानिकों के तीन प्रयोग अटल कृषि मित्र, ग्रीन शील्ड और बायो टॉयलेट के बारे में बताया था. नीति आयोग ने इन तीनों आविष्कार को अब व्यवसायिक उपयोग के लिए हरी झंडी दिखा दी है. इस तरह से शहर का गवर्नमेंट हॉयर सेकंडरी स्कूल देश का अब पहला स्कूल बन गया है, जिसके आविष्कारों ने टॉप 50 में स्थान बनाया है.

इन होनहारों ने साइंस में सूबे को बनाया 'सरदार'

स्कूल के ही प्रयोगशाला में किया आविष्कार
स्कूल की ही प्रयोगशाला में तीन अलग-अलग नए आविष्कार कर इन बच्चों ने पूरे देश में अपना लोहा मनवा लिया है. इन आविष्कारों को राष्ट्रीय स्तर पर भरपूर सराहना मिली है.

आइए जानते हैं इन शानदार आविष्कारों के बारे में-

अटल कृषि मित्र : ये एक तरह का रोबोट है, जो किसानों के लिए बड़े ही काम की चीज है. इस मशीन के जरिए किसान एक साथ कई कृषि कार्य को संपादित कर सकते हैं. मसलन खेत जोतना, फसल की कटाई, बोआई, दवा का छिड़काव जैसे काम इससे किए जा सकते हैं. ये मशीन कॉस्ट इफेक्टिव भी है और ये पर्यावरण को बिल्कुल नुकसान नहीं पहुंचाता.

ग्रीन शील्ड : इस आविष्कार को बेस्ट टू वेस्ट की अवधारणा पर विकसित किया गया है. ये आविष्कार मौसम में दिन-ब-दिन तापमान बढ़ने और उससे बचने के उपाय को ध्यान में रखकर बनाया गया है. इसमें खराब प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया है. प्लास्टिक के इस्तेमाल से ये बताने की कोशिश की गई है कि किस तरह से दो दीवारों के बीच प्लास्टिक की लेयर होने से ये बाहरी तापमान को नियंत्रित करने में सहायक होता है.

बायो टॉयलेट :ये एक ऑटोमेटिक टॉयलेट है. इसमें गंदगी, दुर्गंध, टॉयलेट चोक की समस्या को दूर करने के अलावा 'एजो' बैक्टेरिया की मदद से वेस्ट मटेरियल को उपयोगी बनाया जाता है. यह टॉयलेट भारतीय रेल में सामान्य रूप से गंदगी और चोक की समस्या को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. ये सिस्टम पूरा मैकेनाइज्ड है.

कामयाबी किसी सुविधाओं की मोहताज नहीं
होनहार बच्चों ने दिन रात एक करके इन नए आविष्कारों को अंजाम तक पहुंचाया है. इन छात्रों के पास महंगे स्कूलों की तरह न तो सुविधाएं हैं और न ही माहौल, लेकिन दिन रात मेहनत कर इन छात्रों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि कामयाबी किसी सुविधाओं की मोहताज नहीं होती. इसे मेहनत और लगन से हासिल किया जा सकता है.

Last Updated : Sep 16, 2019, 7:43 PM IST

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