बिलासपुर: जिला प्रशासन की टीम ने नोटिस थमाने के 48 घंटे के अंदर कई परिवारों के सपने जमींदोज कर दिए. कोरोना वायरस के संक्रमण और लॉकडाउन के बीच एडमिनिस्ट्रेशन को इतनी जल्दी हुई कि अरपा नदी के किनारे बसी चांटापारा बस्ती के करीब 200 घरों को तोड़ दिया. इन परिवारों से जब ETV भारत ने बात की तो किसी को अपना बचपन याद आया, तो किसी ने कहा कि एक चिड़िया निश्चिंत रहती थी लेकिन उसका घोंसला तोड़ दिया. इसके साथ ही इन लोगों को जहां शिफ्ट किया गया है. वहां न तो पानी की व्यवस्था है, न बिजली की और न ही शौचालय है.
बिलासपुर में बेघर हुए लोगों की कहानी अरपा नदी के किनारे चांटापारा की जमींदोज हो चुकी बस्ती करीब 40 से 50 साल पुरानी बताई जा रही है. यहां 200 से ज्यादा परिवारों का कभी बसेरा हुआ करता था. यह बस्ती कम आमदनी वालों के लिए किसी महल से कम नहीं थी. लोगों का कहना है कि बेजा कब्जा हटाने को लेकर उन्हें प्रशासन ने नोटिस थमाया था. नोटिस देने के 48 घंटे बाद स्थानीय प्रशासन ने आनन-फानन में तोड़फोड़ की कार्रवाई कर दी. स्थानीय लोगों के मुताबिक प्रशासन ने उन्हें देर से नोटिस दिया. जब तक वे सोचते और सामान समेटते कब्जा हटाने की कार्रवाई कर दी गई.
बेघर हुए लोगों को इमलीभाटा में किया गया शिफ्ट लोगों ने बताया दुख
लोगों का कहना है कि संकट के समय में शासन-प्रशासन को मदद करनी चाहिए लेकिन यहां तो सरकार ने उनके सिर से छत ही छीन ली. वे पहले ही बेरोजगारी और पैसों की कमी से जूझ रहे थे, दो वक्त की रोटी के लिए भी मोहताज होना पड़ रहा था. प्रशासन ने ये सब नहीं देखा और कार्रवाई कर दी.
विपक्ष ने साधा निशाना
बीते दिनों मुख्य सचिव आरपी मंडल जब शहर पहुंचे थे, तो उन्होंने नदी किनारे सड़क निर्माण कराने में देरी को लेकर अधिकारियों से कड़ी नाराजगी जताई थी. लोगों का कहना है कि अधिकारियों को फटकार पड़ने पर पर तोड़फोड़ की कार्रवाई की गई. विपक्ष के आला नेता भी शासन-प्रशासन के इस निर्णय पर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भी लॉकडाउन के बीच घर उजाड़ने की इस कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है.
बिलासपुर की चांटापारा बस्ती के घरों पर चला बुलडोजर पढ़ें- बिलासपुर: बेजा कब्जा पर प्रशासन का चला बुलडोजर, स्थानीय लोगों ने किया विरोध
ETV भारत की टीम ने इमलीभाटा में उन मकानों का भी जायजा लिया, जहां उजाड़े गए सैकड़ों परिवार को शिफ्ट किया गया है. यहां वर्तमान स्थिति में बिजली, पानी और शौचालय जैसे मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है और प्रशासन धीरे-धीरे सब ठीक हो जाने की दलील दे रहा है. शिफ्ट हुए लोग यहां असामाजिक गतिविधियों के होने का आरोप भी लगा रहे हैं. तमाम अव्यवस्था के बीच गंदगी का अंबार भी लगा हुआ है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि सड़क निर्माण के नाम पर लॉकडाउन और तमाम अव्यवस्थाओं के बीच निम्न आय के सैकड़ों परिवार के घरों को उजाड़ने की प्रशासन को आखिर इतनी हड़बड़ी किस बात की थी. क्या बेरोजगारी और बीमारी के इस भीषण संकट के बीच गरीबों का आशियाना तोड़ना ही एकमात्र विकल्प बचा था.
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बता दें कि रिवर व्यू सड़क पार्ट-2 बनाने के लिए जिला प्रशासन और नगर निगम ने अरपा नदी के किनारे का सर्वे कराकर यहां अवैध रूप से बनाई गई झोपड़ी और मकानों को तोड़ने का निर्देश दिया था. अरपा नदी के किनारे से अतिक्रमण हटाने के खिलाफ दायर याचिका पर मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है. अतिक्रमण हटाने के खिलाफ कुल 54 याचिकाएं दायर की गई थी.