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caste reservation case in chhattisgarh हाईकोर्ट ने राज्यपाल के नोटिस पर लगाई रोक - High Court stayed Governor notice

छत्तीसगढ़ में जातिगत आरक्षण मामला एक बार फिर हाईकोर्ट में है. गुरुवार को राज्यपाल सचिवालय ने हाईकोर्ट में नोटिस रोकने की मांग करते हुए याचिका लगाई थी. जिस पर कोर्ट में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. शुक्रवार को कोर्ट ने फैसला जारी करते हुए अपने दिए जाने वाले नोटिस पर रोक लगा दी है.

caste reservation case in chhattisgarh
हाईकोर्ट ने राज्यपाल के नोटिस पर लगाई रोक

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Published : Feb 10, 2023, 4:56 PM IST

बिलासपुर : राज्यपाल सचिवालय को मिले नोटिस पर सचिवालय ने कोर्ट में रिकॉल याचिका दायर की थी. इस याचिका में हाई कोर्ट की जस्टिस रजनी दुबे की कोर्ट में बहस हुई . मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा लिया था. आरक्षण विधेयक बिल को राजभवन में रोकने को लेकर राज्य शासन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर राज्यपाल सचिवालय को कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया था. राज्यपाल सचिवालय ने कोर्ट में एडवोकेट बी गोपा कुमार के माध्यम से रिकॉल की संवैधानिकता पर सवाल उठाया था. राज्यपाल सचिवालय ने हाईकोर्ट की नोटिस को चुनौती देते हुए कहा है कि ''आर्टिकल 361 के तहत किसी भी केस में राष्ट्रपति या राज्यपाल को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता.''

राज्यपाल को भेजे गए नोटिस पर स्टे : गुरुवार को इस मामले में अंतरिम राहत पर बहस के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. प्रकरण में हाईकोर्ट की नोटिस पर रोक लगाने की मांग की गई थी, कोर्ट ने राज्यपाल सचिवालय की मांग को स्वीकारते हुए अपने नोटिस पर रोक लगा दी है. जातिगत आरक्षण विधेयक बिल को राजभवन में रोकने को लेकर राज्य शासन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया है कि ''विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद राज्यपाल सिर्फ सहमति या असमति दे सकते हैं. बिना किसी वजह के बिल को इस तरह से लंबे समय तक रोका नहीं जा सकता. राज्यपाल संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग कर रही है.''

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राज्यपाल ने विधेयक पर नहीं किए हैं साइन : राज्य सरकार ने दो महीने पहले विधानसभा के विशेष सत्र में राज्य में आरक्षण को बढ़ा दिया था. जिसमें छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति के लिए 32 फीसदी, ओबीसी के लिए 27 फीसदी, अनुसूचित जाति के लिए 13 फीसदी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 4 फीसदी आरक्षण कर दिया गया. इस विधेयक को राज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया है. राज्यपाल ने इसे स्वीकृत करने से फिलहाल इनकार कर दिया है. आरक्षण बिल अभी राजभवन में ही रखा है. राज्यपाल के विधेयक स्वीकृत नहीं करने को लेकर एडवोकेट हिमांक सलूजा ने और राज्य शासन ने याचिका लगाई थी. राज्य शासन ने आरक्षण विधेयक बिल को राज्यपाल की ओर से रोकने को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. इस केस की अभी सुनवाई लंबित है.

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