बिलासपुर: प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ फीस वसूली को लेकर दायर सभी 11 याचिकाओं को चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया है. इससे पहले हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने भी अभिभावकों की दायर याचिकाओं को खारिज कर प्राइवेट स्कूलों के पक्ष ने फैसला सुनाया था. डिवीजन बेंच में पूर्व के फैसले को चुनौती दी गई थी. मामले पर सुनवाई करते हुए अपने फैसले में डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को यथावत रखा है.
प्राइवेट स्कूलों के पक्ष में HC का फैसला बता दें कि पिछले साल ट्यूशन फीस लेने की अनुमति मांगते हुए बिलासपुर के 20 से ज़्यादा प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन और बिलासपुर प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने संचालक लोक शिक्षण की ओर से जारी आदेश को अपनी याचिका में चुनौती दी थी. इस आदेश में शासन ने निजी स्कूलों की ओर से लाॅकडाउन अवधि में स्कूल फीस स्थगित रखने की बात कही थी. इस आदेश को चुनौती देते हुए उस वक्त प्राइवेट स्कूलों ने याचिका दायर कर कहा था. जो अभिभावक सक्षम हैं उनसे ट्यूशन फीस लेने की अनुमति उन्हें दी जाए.
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स्कूल प्रबंधन की ओर से दिया गया तर्क
स्कूलों ने अपनी याचिका में कहा था कि अगर वे फीस नहीं लेंगे तो कर्मचारियों और शिक्षकों का वेतन कहां से देंगे. मामले पर तब फैसला सुनाते हुए उस वक्त जस्टिस पीसेम कोशी की सिंगल बेंच ने प्राइवेट स्कूलों को ट्यूशन फीस लेने की अनुमति दे दी थी. लेकिन सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ पैरेंट्स एसोसिएशन ने पुनर्विचार याचिका दायर कर कहा था कि कोर्ट के आदेश को तोड़मरोड़ कर उनसे प्राइवेट स्कूल अधिक फीस वसूली कर रहे हैं. वही फीस देने में देरी होने पर बच्चो को स्कूलों से निकलने की भी धमकी दी जा रही है. लेकिन तब सिंगल बेंच ने पैरेंट्स एसोसिएशन की याचिका को खारिज कर दिया था. जिसके बाद अभिभावकों ने सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए सीजे की डिवीजन बेंच में कुल 11 याचिकाएं दायर की थी जिसमे से एक जनहित याचिका थी.
प्राइवेट स्कूलों के पक्ष में फैसला
कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए प्राइवेट स्कूलों के पक्ष में फैसला सुनाया है. कोर्ट ने साफ कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में फीस वसूली की अनुमति दे दी है. इसलिए अब इन याचिकाओं पर सुनवाई का कोई मतलब नहीं बनता. वहीं दूसरी तरफ अब पैरेंट्स एसोसिएशन की तरफ से भी कहा गया है की हम हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे.