बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की जस्टिस गौतम भादुड़ी की एकल पीठ ने 14 वर्षों तक बस्तर के स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच में तैनात आरक्षक के ट्रांसफर पर रोक लगाते हुए डीजीपी को प्रकरण के निराकरण 45 दिनों में करने के निर्देश जारी किए हैं.
क्या है मामला
बता दें कि बस्तर के एसआईबी में 14 वर्षों से आरक्षक के पद पर पदस्थ राजेंद्र सिंह राजपूत ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता की सीधी भर्ती आरक्षक के पद पर 1998 में हुई और पहली नियुक्ति आरक्षक चालक के पद पर एमपी पुल मुख्यालय रायपुर में की गई थी. 14 सितंबर 2005 को आदेश जारी कर उन्हें बस्तर एसआईबी में तैनात कर दिया गया. याचिकाकर्ता लगभग 14 वर्षों से आरक्षक चालक के पद पर कार्यरत हैं.
14 साल बाद 12 दिसंबर 2019 को उन्हें वापस रायपुर भेजने के आदेश जारी किए गए थे. जबकि उन्हें विशेष अधिसूचना शाखा बस्तर में स्थाई चालक आरक्षक की बेसिक ट्रेनिंग दी गई है. अच्छे प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत भी किया गया है. अब बीच में मूल स्थान पर वापस भेजने से याचिकाकर्ता की पदोन्नति के साथ वरिष्ठता प्रभावित होगी.
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संविलियन नियम का हावाला
शासन के निर्देशों के अनुसार किसी विशेष शाखा में लंबी अवधि बिताने के बाद नियमानुसार विभाग में संविलियन किया जाना चाहिए. इस संबंध में याचिकाकर्ता ने मूल विभाग और पुलिस महानिदेशक कार्यालय को आवेदन भी दिया है. लेकिन उस पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है. जबकि पूर्व में भेजे गए कई आवेदनों पर संविलियन की कार्रवाई की गई है.