बिलासपुर :जनप्रतिनिधियों को स्मार्ट सिटी को बोर्ड ऑफ डारेक्टर में शामिल करने, एमआईसी और सामान्य सभा से प्रस्ताव पास करवाने और कार्यों की स्वीकृति लेने को लेकर हाई कोर्ट में याचिका लगी है. सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोनों स्मार्ट सिटी रायपुर और बिलासपुर की वर्क ऑर्डर जारी की मांग को स्वीकृति दे दी. कोर्ट ने दोनों स्मार्ट सिटी को वर्क ऑर्डर जारी करने की अनुमति दे दी है.
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में स्मार्ट सिटी के मामले पर सुनवाई हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई में स्मार्ट सिटी बिलासपुर और रायपुर के एमडी से पूछा था कि कौन-कौन से कार्य के वॉर्क ऑर्डर जारी करने की स्थिति में पहुच गई है, इसकी जानकारी कोर्ट को दी जाए. मामले में स्मार्ट सिटी रायपुर और बिलासपुर ने कोर्ट को बताया कि रायपुर में 42 और बिलासपुर में 14 कार्यों का वर्क ऑर्डर जारी करने की स्थिति में है. दोनों स्मार्ट सिटी को कोर्ट ने वर्क ऑर्डर जारी करने की अनुमति दे दी.
क्या है पूरा मामला
रायपुर और बिलासपुर नगर निगम की निर्वाचित संस्थाओं के अधिकारों पर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने अतिक्रमण करने का आरोप लगाते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाई है. मामले में पेश जनहित याचिका को अधिवक्ता विनय दुबे के द्वारा एडवोकेट सुदीप श्रीवास्तव के माध्यम से लगाई गई है.
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याचिका में बताया गया है कि जो काम स्मार्ट सिटी लिमिटेड करती है, वही काम नगर निगम की निर्वाचित मेयर इन काउंसिल, सामान्य सभा से अनुमति लेकर करती है. ऐसे में जिस काम को निगम की शहर सरकार को करना चाहिए, वह काम स्मार्ट सिटी कर रही है. इससे संविधान में मिले निगम सरकार के अधिकार पर अतिक्रमण कर लिया गया है. साथ ही बिना एमआईसी, सामान्य सभा से अनुमति लिये कार्य किया जा रहा है. इसमें निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को स्मार्ट सिटी कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल करने की मांग की गई है.
सुनवाई में क्या हुआ था
स्मार्ट सिटी मामले में हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह लगातार तीन दिन सुनवाई हुई थी. इसमें पहले दिन तो सुनवाई के दौरान लेट होने पर दिल्ली के सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कोर्ट वर्चुअल सुनवाई के माध्यम से करीब का समय देने की मांग की थी. इसके बाद कोर्ट ने 10 मार्च की तारीख तय की थी. 10 मार्च की सुनवाई में कोर्ट को बताया गया कि 31 मार्च तक वर्क ऑर्डर जारी नहीं होगा तो हजारों करोड़ रुपए के कार्य रुक जाएंगे. क्योंकि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर बताया है कि जिन कामों का वर्क ऑर्डर 31 मार्च तक पूरा हो जाएगा, उन्हीं कामों के लिए स्मार्ट सिटी के माध्यम से केंद्र सरकार पैसा देगी. जिन कामों के लिए वर्क ऑर्डर जारी नहीं होगा, उसके लिए पैसा नहीं दिया जाएगा.
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रायपुर के लिए 42 और बिलासपुर के लिए 14 कार्यों की हाईकोर्ट को दी गई थी जानकारी
ऐसे में स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से दिल्ली के वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के एडवोकेट सुमेश बजाज ने पैरवी करते हुए कोर्ट से वर्क ऑर्डर जारी किये जाने की अनुमति की मांग की थी. जिससे कि शहर के विकास में कोई बाधा ना हो. मामले में फिर 11 मार्च की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बिलासपुर और रायपुर स्मार्ट सिटी के एमडी से जानकारी मांगी थी कि ऐसे कौन-कौन से कार्य हैं, जिसकी प्रक्रिया पूरी हो गई हो और वर्क ऑर्डर जारी किया जा सकता है. सुनवाई में कोर्ट ने स्मार्ट सिटी लिमिटेड को सोमवार की तारीख में जानकारी उपलब्ध करने के निर्देश दिये थे. मामले में दोनों स्मार्ट सिटी के एमडी ने वर्क ऑर्डर जारी करने के कामों की लिस्ट कोर्ट के समक्ष रखी थी. जिसमें रायपुर के लिए 42 कार्य और बिलासपुर के लिए 14 कार्यों की जानकारी दी गई थी.