बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में शुक्रवार को वकीलों को आर्थिक सहायता देने की मांग को लेकर लगाई गई याचिका पर सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान न्यायालय का कामकाज बंद होने से प्रभावित वकीलों को 10 दिन के अंदर आर्थिक सहायता पहुंचाने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने सभी पक्षकारों को इस संबंध में बैठक कर रूपरेखा तैयार करने का निर्देश दिया है.
लॉकडाउन में प्रभावित वकीलों का मामला लॉकडाउन के दौरान न्यायालय बंद होने से जूनियर वकीलों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया. जरूरतमंद अधिवक्ताओं को आर्थिक सहायता पहुंचाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. शुक्रवार को चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच में याचिका पर फिर से सुनवाई हुई.
50 करोड़ रुपए की गई है मांग
सुनवाई के दौरान राज्य विधिक परिषद के अधिवक्ता सौरभ पांडे ने कोर्ट को बताया कि, परिषद की ओर से राज्य शासन और महाधिवक्ता से चर्चा कर योजना तैयार की गई है. इसके लिए 50 करोड़ रुपये की मांग की गई है. इसके अलावा अधिवक्ता कल्याण ट्रस्टी कमेटी भी फंड दे सकती है. ट्रस्टी कमेटी इस संबंध में निर्णय लेगी.
फौरन जारी किए जाएंगे 4 करोड़ रुपए
राज्य विधिक परिषद ने निर्णय लिया है कि 10 दिन में सामान्य फंड से जमा राशि का 20 प्रतिशत वकीलों को दिया जाएगा, जो कि 87 लाख 67 हजार 533 रुपए और एफडी से 2 करोड़ 67 लाख 27 हजार 302 रुपए है. परिषद के जवाब पर अधिवक्ता संदीप दुबे ने कोर्ट को बताया कि, उनकी अधिवक्ता कल्याण ट्रस्टी कमेटी के चेयरमैन और विधि मंत्री मोहम्मद अकबर के साथ बैठक हुई है, जिसमें उन्होंने कहा है कि, CM के निर्देश पर अगर बार काउंसिल ट्रस्टी कमेटी के सदस्य राजी होते हैं तो, ट्रस्टी समिति के पास जमा 4 करोड़ रुपए अधिवक्ता सहायता के लिए तुरंत जारी किए जाएंगे.
कितना मदद की जा सकती है निर्णय करें
कोर्ट ने इस कथन को अपने आर्डर में लेते हुए आगे कहा कि, सभी पक्ष कल्याण ट्रस्टी कमेटी और महाधिवक्ता के साथ बैठकर इस मुद्दे को आपसी सहमति से सुलझाएं और जरूरतमंद वकीलों की ज्यादा से ज्यादा मदद की जाए. राज्य विधिक परिसर सामान्य खाता से 20 प्रतिशत की राशि निकालकर, जो कि 87 लाख 67 हजार 533 रुपए और फिक्स राशि 2 करोड़ 67 लाख 27 हजार 302 रुपए है. 10 दिनों में जरूरतमंद वकीलों को दें और शीघ्र ही ट्रस्टी कमेटी और संबंधित पक्षकार जिसमें बार काउंसिल के सदस्य और ट्रस्टी कमेटी भी एक है आपस में बैठक करें और जरूरतमंद अधिवक्ताओं को कैसे और कितना मदद की जा सकती है इसकी योजना बनाकर निर्णय करें.
कोर्ट ने मामले को सुनवाई के लिए 10 दिन बाद रखने का आदेश दिया है. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस पी आर मेनन और जस्टिस पी पी साहू की डिवीजन बेंच में की गई.