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झीरम घाटी हत्याकांड में सुनवाई: शासन कोर्ट में रखेगी अपना तर्क

झीरम घाटी हत्याकांड की छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट (Chhattisgarh High Court ) में आज सुनवाई है. माना जा रहा है कि यह मामला अब निर्णायक दौर में है. आज राज्य शासन की तरफ से आपराधिक प्रकरण के साथ तर्क प्रस्तुत किया जाएगा.

Chhattisgarh High Court
झीरम घाटी हत्याकांड की कोर्ट में सुनवाई

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Published : Sep 20, 2021, 10:33 AM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट (Chhattisgarh High Court ) में आज झीरम हत्याकांड पर सुनवाई होगी. झीरम हत्याकांड में NIA के बाद पुलिस षड्यंत्र और हत्या का अपराध दर्ज करने के मामले को चुनौती देने वाली याचिका पर अंतिम सुनवाई चल रही है. NIA के साथ ही हस्तक्षेपकर्ता के अधिवक्ताओं की बहस पूरी हो गई थी. आज इस मामले में राज्य शासन जवाब के साथ ही आपराधिक प्रकरण पर तर्क प्रस्तुत करेगी.

कांग्रेस के परिवर्तन रैली में नक्सलियों के द्वारा हमला करने और कई दिग्गज कांग्रेसी नेताओं की हत्या के मामले में हाइकोर्ट में चल रही सुनवाई पर अब अंतिम बहस चल रही है. इस मामले में माना जा रहा है कि यह मामला अब निर्णायक दौर में है. सुप्रीम कोर्ट के एडिशनल सालिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी व हाई कोर्ट के असिस्टेंट सालिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने NIA की तरफ से बहस की और NIA एक्ट का हवाला देकर तर्क प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि NIA जिस मामले की जांच कर चुकी है, उस पर राज्य शासन को जांच करने का अधिकार नहीं है. अगर, जांच का कोई बिंदु है तो उसको NIA के समक्ष रखा जा सकता है. उनकी बहस पूरी होने के बाद हस्तक्षेपकर्ता व पुलिस में आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने वाले जितेंद्र मुदलियार की तरफ से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव व संदीप दुबे ने बहस की.

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जितेंद्र के पिता उदय मुदलियार झीरम घाटी में मारे गए थे. अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि सामान्य रूप से अपराधों की जांच का अधिकार राज्य पुलिस को होता है. लेकिन NIA एक्ट इसका अपवाद है. अधिवक्ताओं ने कहा कि जगदलपुर स्थित NIA के विशेष कोर्ट को भी इस प्रकरण को स्थानांतरित करने का अधिकार नहीं है. जितेन्द्र मुदलियार की ओर से बहस पूरी होने के बाद अब आज राज्य शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आलोक बख्शी और उपमहाधिवक्ता मतीन सिद्दिकी तर्क रखेंगे.

25 मई 2013 को विधानसभा चुनाव से ठीक पहले झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला किया गया था. इस हमले में तत्कालीन PCC चीफ नंदकुमार पटेल उनके बेटे दिनेश पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा सहित 25 से अधिक नेताओं और अन्य लोगों की हत्या की गई थी.

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