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महासमुंद में सरकारी जमीन पर शिक्षक का कब्जा, हाईकोर्ट ने कहा- राजस्व प्रकरण का निराकरण करें तहसीलदार - हाईकोर्ट ने दिया आदेश

महासमुंद (Mahasamund) जिले के सराईपाली क्षेत्र के खम्हारपाली में सरकारी जमीन पर शिक्षक ने कब्जा कर लिया है. जिसको लेकर आज बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) में सुनवाई की गई. इस सुनवाई में सराईपाली के तहसीलदार को लंबित राजस्व प्रकरण की सुनवाई कर एक माह के भीतर आदेश पारित करने को कहा है.

Chhattisgarh High Court
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट

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Published : Sep 8, 2021, 10:26 PM IST

बिलासपुर:महासमुंद (Mahasamund) जिले के सराईपाली क्षेत्र के खम्हारपाली में शासकीय भूमि पर शिक्षक (Teacher) ने अवैध कब्जा कर लिया है. इससे ग्रामीणों को निरस्तारी में दिक्कतें हो रही है. इस मामले में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट (High Court) ने सराईपाली के तहसीलदार को लंबित राजस्व प्रकरण की सुनवाई कर एक माह के भीतर आदेश पारित करने को कहा है.

सरकारी जमीन पर शिक्षक का कब्जा

सराईपाली क्षेत्र के खम्हरपाली निवासी जयंत भोई ने अपने अधिवक्ता समीर बेहार के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर (Petition filed in High Court) की है. बताया गया है कि साल 1935 से अपने पैतृक जमीन पर खेती कर रहे हैं. इस जमीन से लगी मुंबई-कोलकाता नेशनल हाइवे ( Mumbai-Kolkata National Highway) गुजरती है. सड़क के किनारे शासकीय भूमि भी है. जिससे गांव के किसानों की निस्तरी होती है.

इस जमीन पर गांव के शासकीय शिक्षक उत्तम कुमार भोई ने अवैध कब्जा कर लिया है. साथ ही ग्रामीणों को उनकी निजी जमीन पर आने जाने से रोक लगा दी है. साल 2016 में जयंत के पिता सालिकराम भोई ने सराईपाली तहसीलदार की कोर्ट में वाद दायर कर शासकीय भूमि से अतिक्रमण हटाने की मांग की है. तब से यह मामला तहसीलदार न्यायालय में लंबित है. बेजा कब्जाधारी शिक्षक द्वारा ग्रामीणों को लगातार परेशान किया जा रहा है. जिससे उनकी खेती-किसानी प्रभावित हो रही है. इसके चलते उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है. परिवार का भरण पोषण भी मुश्किल हो गया है.

हाई कोर्ट ने दिया आदेश

याचिका में बताया गया है कि न्यायालयीन लड़ाई के दौरान ही 15 नवंबर 2019 को याचिकाकर्ता के पिता की मौत हो गई. इसके बाद याचिकाकर्ता ने कलेक्टर और एसडीएम से भी शिकायत की और सरकारी जमीन से कब्जा हटाने की मांग की. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, तब उन्हें न्याय के लिए हाई कोर्ट की शरण लेनी पड़ी. इस प्रकरण की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सराईपाली के तहसीलदार को आदेशित किया है कि एक माह के भीतर लंबित राजस्व प्रकरण का निराकरण करते हुए नियमानुसार आदेश पारित करें.

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