बिलासपुर :बेमेतरा के परिवार न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पति को भरण-पोषण का आदेश दिया गया था. लेकिन हाइकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा और पति की याचिका खारिज कर दी है.
परिवार न्यायालय ने दिया था भरण-पोषण देने का आदेश
बिलासपुर परिवार न्यायालय द्वारा पत्नी व बच्चों को भरण-पोषण राशि तय कर पति को प्रत्येक माह भुगतान करने का आदेश दिया गया था. जिसे चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. इस मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज करते हुए पत्नी-बच्चों को भरण-पोषण के लिए हकदार माना है. मामला बेमेतरा जिले का है.
आयेदिन पत्नी से होता था विवाद, बच्चों समेत घर निकाल दिया
गौरतलब है कि बेमेतरा के अटल बिहारी कालोनी निवासी बेबी वर्मा की शादी सिंघौरी निवासी अनिल वर्मा से हुई थी. शादी के बाद उनके दो बच्चे भी हुए. लेकिन इस दौरान पति-पत्नी के बीच आपसी विवाद होने लगा. इस विवाद के चलते पति ने अपनी व बच्चों को घर से निकाल दिया. इसके बाद से बेबी वर्मा अपने मायके में आकर रहने लगी. पति से अलग होने के बाद बेबी ने अपने व बच्चों के भरण-पोषण राशि की मांग करते हुए धारा 125 के तहत परिवाद दायर कर दी. जनवरी 2018 में परिवार न्यायालय ने पति अनिल को अपनी पत्नी की भरण-पोषण राशि 15 सौ रुपये व दो बच्चों के लिए एक-एक हजार रुपये देने का आदेश दिया.
पति ने दूसरे के साथ रहने का पत्नी पर लगाया आरोप
इस पर पति अनिल ने बेमेतरा के ही परिवार न्यायालय में धारा 127 के तहत आवेदन पत्र प्रस्तुत किया. इसमें आरोप लगाया कि उसकी पत्नी किसी दूसरे व्यक्ति परस यादव के साथ रहती है. बतौर साक्ष्य उन्होंने परस यादव का समझौतानामा भी प्रस्तुत किया. इसमें परस ने बेबी को पत्नी बनाने संबंधी दस्तावेज दिया. उसमें उसका हस्ताक्षर भी है. लेकिन, कोर्ट ने इस आवेदन को अस्वीकार करते हुए खारिज कर दिया. इस पर पति अनिल ने हाई कोर्ट में दांडिक पुनरीक्षण याचिका लगाई और कहा कि उसकी पत्नी ने दूसरी शादी कर ली है. इसके चलते अब परिस्थितियां बदल गई हैं. इसलिए उसे भरण-पोषण देने से मुक्त रखा जाये.
पत्नी के वकील बोले-न दूसरी शादी हुई न ही तलाक
इस मामले में बेबी वर्मा ने आपत्ति की. उनके वकील समीर सिंह ने कोर्ट को बताया कि इस तरह से किसी समझौते की उन्हें जानकारी ही नहीं है. उसमें बेबी का हस्ताक्षर भी नहीं है. उन्होंने बताया कि परस से शादी नहीं की है. अभी भी वह अनिल की पत्नी के रूप में है न तो उनका तलाक हुआ है और न ही दूसरी शादी की है. इस मामले की सुनवाई जस्टिस एनके चंद्रवंशी की एकलपीठ में हुई. कोर्ट ने माना कि जब तक पति-पत्नी के बीच विधिवत तलाक नहीं हो जाता या फिर पत्नी दूसरी शादी नहीं करती, तब तक प्रावधान के अनुसार पति को भरण-पोषण देना पड़ेगा. इस आदेश के साथ ही कोर्ट ने पति की दांडिक पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया है.